अनुच्छेद 35-ए में हुआ बदलाव तो लोग तिरंगे की जगह कोई और झंडा थाम सकते हैं : महबूबा मुफ्ती

पाकिस्तान के शमा न्यूज चैनल को दिए अपने एक इंटरव्यू में जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पुलवामा हमले को लेकर कई बातें कहीं। महबूबा ने कहा पुलवामा हमले के बाद राजनेताओं पर भारी दवाब है, लेकिन युद्ध कोई हल नहीं है। चुनाव के कारण हम संकट में फंसे हुए हैं, ऐसी स्थिति में पाकिस्तान को हमले के बाद तनाव को रोकने के लिए कुछ करना चाहिए।

महबूबा ने कहा कि लोगों का गुस्सा कश्मीरियों की तरफ बढ़ रहा है और कश्मीरियों को प्रताड़ित किया जा रहा है जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा है। पीडीपी मुखिया महबूबा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देर से बयान दिया है लेकिन सही बयान दिया है। उन्होंने कहा, '2014 के चुनाव से पहले अफजल गुरु को फांसी पर लटकाया गया था और इस बार पुलवामा के बाद हालात और ज्यादा खराब हो गए हैं। मैं ये नहीं कह रही हूं कि मोदी जी कोशिश नहीं कर रहे हैं, लेकिन पहले पठानकोट हुआ और अब पुलवामा। इमरान खान को मोदी जी को फोन करना चाहिए।'

वहीं एक दूसरे न्यूज चैनल दुनिया न्यूज को दिए टेलीफोनिक इंटरव्यू में महबूबा ने कहा, 'मैंने कभी अपना रूख को नहीं बदला। मैंने कभी भी हुर्रियत और जमात पर कार्रवाई करने की अनुमति नहीं दी, यहां तक कि जब मैं बीजेपी के साथ सरकार में थी। पाकिस्तान और भारत को हुर्रियत के साथ बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35-ए में अगर किसी तरह का बदलाव किया गया तो राज्य के लोग राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की बजाय किसी और झंडे को भी थाम सकते हैं। महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब सुप्रीम कोर्ट इस हफ्ते अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वाला है। न्यायालय इस मामले में 26 फरवरी से 28 फरवरी के बीच किसी भी दिन सुनवाई कर सकता है।

आपको बता दें कि भाजपा को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने कड़े बयान जारी कर अनुच्छेद 35-ए को कमजोर करने या इसमें संशोधन करने के केंद्र के किसी भी कदम का विरोध किया है। महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने पत्रकारों को बताया, ‘मैं (एनसी अध्यक्ष) उमर अब्दुल्ला के संपर्क में हूं। हमारे पास एक ऐसी रणनीति होनी चाहिए ताकि अनुच्छेद 35-ए पर कोई हमला नहीं हो और यदि हमला होता है तो मैं नहीं जानती कि कश्मीर के लोग अपने हाथों में तिरंगे के अलावा कौन सा झंडा थाम लेंगे। यदि उन्होंने ऐसा किया तो फिर हमें मत कहना कि हमने आपको (केंद्र को) चेतावनी नहीं दी थी। जम्मू-कश्मीर के लोगों को मजबूर न करें'।

पुलवामा के बाद हालात बिगड़ गए हैं। मुझे उम्मीद है कि पाकिस्तान कश्मीरियों के दर्द को समझेगा और तनाव कम करने के लिए कुछ कदम उठाएगा।' दोनों देशों के बीच बातचीत पर जोर देते हुए महबूबा ने कहा, 'यदि चीजें बातचीत से सुधर सकती हैं तो फिर युद्ध की क्या जरूरत है। कठोर नीति हमें कहीं का नहीं छोड़ेगी। कश्मीर को हमेशा से ही एक एजेंडे के रूप में प्रयोग किया गया।'