कांग्रेस द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए जाने पर गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि, विपक्षी पार्टियां सर्जिकल स्ट्राइक होने पर ही सवाल उठाती हैं। पर्रिकर ने सवाल किया कि क्या उन्हें सेना को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को साथ ले जाकर सर्जिकल स्ट्राइक के लिए कहना चाहिए था ?
गोवा के सीएम ने कहा कि, 'विपक्षी दल क्या दावा करते हैं कि वह (सर्जिकल स्ट्राइक) हुआ ही नहीं। जरा नकारात्मकता को देखिए। क्या मुझे उन्हें (विपक्ष) साथ ले जाना चाहिए था? क्या मुझे सेना को कहना चाहिए था कि वे राहुल गांधी को साथ ले जाएं और सर्जिकल स्ट्राइक करें ? सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात उसकी गोपनीयता थी।' आर्मी ने सितंबर 2016 में एलओसी के पार सर्जिकल स्ट्राइक किया था। पर्रिकर उस वक्त रक्षा मंत्री थे।
मनोहर पर्रिकर ने कहा कि, 'केवल पीएम मोदी, मैं, आर्मी चीफ और सैन्य ऑपरेशन के महानिदेशक इसके बारे में जानते थे। हमारे चार लोगों के अलावा कोर कमांडर, श्रीनगर में मौजूद आर्मी कमांडर तथा सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने वाले लोग इसके बारे में जानते थे।'
विपक्ष आरोप लगाता रहा है: सर्जिकल स्ट्राइक पर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को घेरता रहा है। कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार सेना के जवानों के बलिदान, पराक्रम और साहस का इस्तेमाल राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए कर रही है। उधर, इस मुद्दे पर बीजेपी का कहना है कि सेना का मनोबल तोड़ना कांग्रेस की नीति है।
आर्मी ने 38 आतंकियों को मार गिराया था: आर्मी ने 2016 में 28 और 29 सितंबर की रात को पहली बार एलओसी पार कर पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 125 पैरा कमांडोज ने 3 किलोमीटर अंदर घुसकर आतंकियों के 7 ठिकाने तबाह किए। 38 आतंकियों को मार गिराया। जवानों की टीम ने रेंगते हुए एलओसी पार की थी, ताकि दुश्मन को इसकी भनक न लगे। चार अलग-अलग इलाकों में मौजूद कैम्पों पर अलग-अलग टीम ने एकसाथ, एक वक्त पर हमला किया।