कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जहां देश की दोनों बड़ी पार्टियां ऐड़ी-चोटी का जोर लगाकर लोगों को लुभाने की कोशिश कर रही है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी अपनी पार्टी के लिए प्रचार करते हुए मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार ने दो बड़ी गलतियां की हैं। पहला नोटबंदी और दूसरा जल्दबाजी में जीएसटी का लागू करना। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि ये दोनों गलतियां ऐसी थीं जिनको टाला जा सकता था। इन फैसलों से अर्थव्यवस्था को तगड़ा नुकसान पहुंचा है और देश के लघु, मध्यम उद्योगों को झटका लगा है। इसका नतीजा ये रहा है कि हजारों लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ गई। मनमोहन सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के आर्थिक प्रबंधन से आम जनता का विश्वास बैंकिग व्यवस्था से धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। हाल ही में हुई नगदी की समस्या से को रोका जा सकता था। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रधानमंत्री ने विपक्ष के बारे में ऐसा नहीं बोला है जैसा पीएम मोदी बोल रहे हैं। यह एक पीएम के लिए शोभा नहीं देता है। यह देश के लिए ठीक नहीं है।
उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को अच्छा नेता बताते हुए कहा कि उन्होंने राज्य के लोगों को गतिशील नेतृत्व प्रदान किया है। यहां के चुनाव नतीजों का देश की राजनीति पर असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा मौजूदा सरकार ने कर्नाटक को गुजरात से बेहतर बनाया है। मोदी सरकार अमेरिका में प्रोफेशनल्स की नौकरियां और आयात को बचाने में नाकाम रही है। दावोस में जब प्रधानमंत्री की नीरव मोदी के साथ तस्वीर सामने आई थी तब कांग्रेस ने कहा था कि नीरव पीएम के साथ था। जिसपर आज मनमोहन ने दावा करते हुए कहा कि पीएम दावोस में नीरव मोदी की कंपनी में मौजूद थे और इसके कुछ दिनों बाद वह देश छोड़कर भाग गया।
मोदी सरकार आश्चर्यजनक रूप से काम कर रही है और इसका नतीजा हमें दिखाई दे रहा है। नीरव मोदी के मामले पर मनमोहन ने कहा कि निश्चित तौर पर साल 2015-16 के दौरान मोदी को लेकर कुछ खलबली थी। हालांकि इसका मोदी सरकार से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन यदि इल्जाम लगाया जाना है तो सरकार इसके लिए जिम्मेदार है।
लोगों का ध्रुवीकरण करने की जिस तरह की कोशिश पीएम द्वारा किया जा रहा है वह देश के लिए सही नहीं है। मोदी के लिए 70 साल के कांग्रेसी शासन को अपनी असफलताओं के लिए जिम्मेदार ठहराना बहुत आसान है।
2015 में अलर्ट के बावजूद मोदी सरकार ने कुछ नहीं किया। देश छोड़कर भागने से दो दिन पहले नीरव पीएम के साथ दावोस में मौजूद था। यह अपने आप सच्चाई को बयां करता है। पिछले चार सालों के दौरान मोदी एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।