मणिपुर हिंसा: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट, 25 सितम्बर को होगी अगली सुनवाई

नई दिल्ली। मणिपुर सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसने जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में सभी स्रोतों से हथियार मिलने के मामले पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच को बताया कि इस मुद्दे पर रिपोर्ट दाखिल की गई है। राज्य सरकार के ये भी कहना था कि यह केवल कोर्ट के लिए है। मेहता ने एक हलफनामे में कोर्ट को इस बारे में बताया।

मेहता ने बेंच को बताया कि यहां जिन भी मुद्दों पर बहस हो रही है, उन्हें पहले ही शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति के संज्ञान में लाया जा चुका है। कोर्ट उन पर विचार कर रही है। शीर्ष अदालत ने मणिपुर में जातीय हिंसा के पीड़ितों को दी जा रही राहत और उनके पुनर्वास पर नजर रखने के लिए रिटायर्ड जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता में जजों की समिति बनाई थी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने सीजेआई की बेंच से कहा कि उन दो महिलाओं के शव अब तक उनके परिवारों को नहीं सौंपे गए हैं जिनकी मणिपुर में मई महीने में सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत की समिति ने पहले ही इस बात का संज्ञान लिया है। वो अधिकारियों को निर्देश जारी कर चुकी है।

25 को अगली सुनवाई करेगी सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच

बेंच ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 25 सितंबर की तारीख तय की। अदालत ने छह सितंबर को मणिपुर सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में ‘सभी स्रोतों’ से हथियारों की बरामदगी पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। बेंच का यह आदेश तब आया जब उसके समक्ष दलील दी गई कि राज्य में थानों और सेना के डिपो से हथियारों और गोला-बारूद का बड़ा जखीरा लूटा गया था। सीजेआई ने कहा था कि ये बेहद गंभीर मसला है कि सेना और पुलिस के हथियार छीने जा रहे हैं।