मालदीव राष्ट्रपति चुनाव: अब्दुल्ला यामीन को मिली हार, भारत समर्थक इब्राहिम मोहम्मद सोलिह जीते

मालदीव Maldives में रविवार को विवादित चुनाव के बाद मतदान में चीन के कट्टर समर्थक समझे जाने वाले वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के मुकाबले भारत से मजबूत संबंधों के पक्षधर कहे जाने वाले विपक्षी नेता इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को चुनाव में जीत मिली है।

54 साल के सोलिह को 262,000 हजार वोट में से 133808 वोट मिले, जबकि यामीन को 95,526 वोट मिले। राष्ट्रपति चुनाव में 88 फीसदी मतदान हुआ। इस चुनाव में कोई अन्य उम्मीदवार खड़ा नहीं हुआ था, क्योंकि उनमें से कई उम्मीदवार जेल में थे या फिर कुछ को देश छोड़ना पड़ा था। इसके साथ ही चीन की तरफ झुकाव रखनेवाले मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन चुनाव हार गए हैं। मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे भारत के लिए अच्छे संकेत दे रहे हैं क्योंकि इब्राहिम भारत के साथ मजबूत संबंधों के हिमायती रहे हैं। न्यूज वेबसाइट मिहारु डॉट कॉम के मुताबिक, सोलिह को कुल 92 प्रतिशत में से 58.3 प्रतिशत मत हासिल हुए हैं। चुनाव पर नजर रखने वाले स्वतंत्र एजेंसी ट्रांसपेरेंसी मालदीव्स के मुताबिक, सोलिह ने निर्णायक अंतर से जीत हासिल की है। उधर, जीत के बाद सोलिह ने अपने पहले भाषण में कहा, 'यह खुशी, उम्मीद और इतिहास का पल है।' उन्होंने साथ ही सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की अपील की है। भारत ने आधिकारिक घोषणा के बिना ही मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों का स्वागत किया है। इस सिलसिले में विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है।

बयान में कहा गया है, 'हम मालदीव में हुए राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया के सफल समापन का स्वागत करते हैं। जिसमें शुरुआती जानकारी के अनुसार मोहम्मद सालेह को जीत मिली है। हम उन्हें दिल से जीत पर बधाई देते हैं और उम्मीद करते हैं कि जल्द ही चुनाव आयोग आधिकारिक तौर पर नतीजों की पुष्टि करेगा।' मंत्रालय के बयान में आगे कहा गया है, 'यह चुनाव न केवल मालदीव में लोकतांत्रिक ताकतों की जीत का प्रतीक हैं बल्कि लोकतंत्र और कानून के शासन के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं। हमारी 'पड़ोसी पहले' की नीति को ध्यान में रखते हुए, भारत साझेदारी को और गहरा बनाने में मालदीव के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करता है।'

एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, जीत की घोषणा के साथ ही सोलिह की मालदिवियन डेमोक्रैटिक पार्टी (MDP) का पीला झंडा लेकर विपक्ष समर्थक सड़कों पर उतर आए और खुशी का इजहार किया। नतीजे आने के बाद यामीन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, सोलिह ने कहा, 'मैं यामीन से कहना चाहूंगा कि वह लोगों की इच्छा का सम्मान करें और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण करें।' इसके साथ ही उन्होंने राजनीतिक बंदियों को भी रिहा करने की अपील की है। यामीन की तरफ से चुनावों में मीडिया पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे, जिससे इन चुनावों में धोखाधड़ी किए जाने की संभावना जताई जा रही थी। चुनावों पर भारत और चीन के अलावा यूरोपीय संघ और अमेरिका भी कड़ी नजर रखे हुआ था।

बता दें कि पहले विपक्ष को ऐसा डर था कि राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गयूम के पक्ष में चुनाव में गड़बड़ी हो सकती है। यामीन के पहले कार्यकाल में विपक्षी राजनीतिक पार्टियों, अदालतों और मीडिया पर कड़ी कार्यवाही की गई है। बीते फरवरी में आपातकाल लागू कर, संविधान को निलंबित कर और यामीन के खिलाफ महाभियोग की कोशिश कर रहे सांसदों को रोकने के लिए सैनिकों को भेजकर मौजूदा राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंता में डाल दिया था। कई वरिष्ठ जजों और प्रमुख विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था।