PM मोदी और उद्धव भाई-भाई, राज्य पर 5 लाख करोड़ का कर्ज डाल गई फडणवीस सरकार : सामना

महाराष्ट्र में शिवसेना-NCP और कांग्रेस की सरकार के शपथ लेने के ठीक बाद शिवसेना ने आज सामना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे के रिश्तें को भाई-भाई का बताया। सामना में पीएम मोदी का जिक्र करते हुए लिखा कि महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी-शिवसेना में अन-बन है लेकिन नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे का रिश्ता भाई-भाई का है। इसलिए महाराष्ट्र के छोटे भाई को प्रधानमंत्री के रूप में साथ देने की जिम्मेदारी श्री मोदी की है। प्रधानमंत्री पूरे देश के होते हैं, सिर्फ एक पार्टी के नहीं होते। इसे स्वीकार करें तो जो हमारे विचारों के नहीं हैं, उनके लिए सरकार अपने मन में राग-लोभ क्यों रखे? महाराष्ट्र की जनता ने जो निर्णय दिया है, दिल्ली उसका सम्मान करे और सरकार की स्थिरता न डगमगाए, इसका खयाल रखे।

लेख में यह भी कहा गया है कि फडणवीस सरकार ने पांच साल में राज्य पर पांच लाख करोड़ का कर्ज डाल दिया है. दरअसल, दरअसल, बीते जून महीने में महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने 2019-20 का अंतरिम बजट पेश किया था। इस बजट में बताया गया कि महाराष्‍ट्र पर कर्ज का बोझ 4.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है। वहीं 2018-19 में महाराष्‍ट्र सरकार की देनदारियां 4.14 लाख करोड़ रुपये थी, जो लगातार बढ़ रही है। इस बजट में बताया गया कि महाराष्ट्र सरकार का राजस्व घाटा बढ़कर 20,292.94 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। एक साल पहले राजस्व घाटा 14,960.04 करोड़ रुपये था। जून में बजट पेश करते हुए तब के वित्त मंत्री सुधीर मुंगटीवार ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में सरकार का राजस्व व्यय 3,34,933.06 करोड़ रुपये और राजस्व प्राप्ति 3,14,640.12 करोड़ रुपये रहने की संभावना है। वहीं राजकोषीय घाटा की बात करें तो 61,669.94 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। एक साल पहले महाराष्ट्र का राजकोषीय घाटा 56,053.48 करोड़ रुपये था। इस लिहाज से करीब 6 हजार करोड़ का इजाफा हो सकता है। बता दें कि सरकार ने कुल बजट 3 लाख 34,933 करोड़ रुपये रखा था।

सामना में लिखा कि नए मुख्यमंत्री ने जो संकल्प लिया है, उस पर तेजी से लेकिन सावधानीपूर्वक कदम रखना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने नई सरकार और मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं दी हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र का विकास तीव्र गति से होगा। इसके लिए केंद्र की नीति सहयोगवाली होनी चाहिए। महाराष्ट्र के किसानों को दुख की खाई से बाहर निकालने के लिए केंद्र को ही सहयोग का हाथ आगे बढ़ाना होगा।