बजट को लेकर शिवसेना का हमला, सामना में लिखा- 'सपने दिखाने और सपने बेचने के मामले में ये सरकार माहिर है'

वित्त मंत्री के बजट भाषण के बाद लोगों को क्या मिला, क्या नहीं? किसे फायदा, किसे नुकसान? कौन बढ़ेगा, कौन थमेगा? इन सवालों पर चर्चा जारी है। लेकिन इस बीच शिवसेना (Shiv Sena) ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए बजट 2021 को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। शिवसेना ने कहा, 'सपने दिखाने और सपने बेचने के मामले में ये सरकार माहिर है। सपनों की दुनिया रचना और सोशल मीडिया पर टोलियों के माध्यम से उन सपनों की हवाई मार्केटिंग करना उनका काम है।'

आर्थिक विकास दर माइनस की ओर जा रही

सामना में शिवसेना ने लिखा, 'आर्थिक क्षेत्र और विकास दर ऊपर बढ़ने की बजाय शून्य की ओर शून्य से ‘माइनस’ की ओर जा रही है। आर्थिक मोर्चे पर इस तरह की तस्वीर के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण ने लोकसभा में अपने भाषण में लाखों-करोड़ों के आंकड़ों को प्रस्तुत किया। इसे ‘स्वप्निल’ नहीं तो और क्या कहें?

बंद पड़े उद्योग कैसे शुरू होंगे?

शिवसेना ने कहा, 'कोरोना काल में देश के हजारों उद्योग-धंधे डूब गए, लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं, बेरोजगारी बढ़ गई, इस पर वित्त मंत्री ने बजट के दौरान कुछ भी नहीं बोला। जिनकी नौकरियां गईं, उन्हें वे कैसे पुन: प्राप्त होंगी, बंद पड़े उद्योग कैसे शुरू होंगे, इस पर कुछ भी नहीं बोला गया।'

जनता की जेब में कुछ नहीं आया


सामना में आगे लिखा गया, 'आम आदमी को इसी से सरोकार है कि उसकी जेब में क्या आया और इस बजट से जनता की जेब में कुछ नहीं आया, यह हकीकत है। बजट से वोटों की गलत राजनीति करने का नया पैंतरा सरकार ने शुरू किया है। पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु और केरल में अब विधानसभा के चुनाव हैं इसलिए इन राज्यों के लिए बड़े-बड़े पैकेज और परियोजनाओं की सौगात वित्त मंत्री ने बांटी है।'

शिवसेना ने कहा, 'चुनाव को देखते हुए केवल जहां चुनाव हैं, उन राज्यों को ज्यादा निधि देना एक प्रकार का छलावा है। जनता को लालच दिखाकर चुनाव जीतने के लिए ‘बजट’ का हथियार के रूप में प्रयोग करना कितना उपयुक्त है? देश के आर्थिक बजट में सर्वाधिक योगदान देने वाले महाराष्ट्र के साथ भेदभाव क्यों? सपनों के दिखावे से आम जनता की जेब में पैसे आएंगे क्या? यह असली सवाल है। वो नहीं आने वाले होंगे तो बजट के ‘कागजी घोड़े’ केवल ‘डिजिटल घोड़े’ बन जाएंगे।'

दरअसल, बजट में चार बड़े राज्यों के चुनाव की रंगत साफ तौर पर दिखी जिनके लिए वित्तमंत्री ने बड़ी दरियादिली दिखाते हुए खजाना खोल दिया। पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु और केरल में बड़े-बड़े राजमार्गों के निर्माण के लिए 2.27 लाख करोड़ रुपये का भारी भरकम आवंटन करने की घोषणा की गई। इतना ही नहीं, बंगाल और असम के चाय बगान की कामकाजी महिलाओं को लुभाने के लिए भी 1000 करोड़ रुपये की कल्याणकारी योजना का भी एलान हुआ।

वित्तमंत्री ने कोविड काल में राजस्व जुटाने की चुनौतियों के बावजूद तमिलनाडु के लिए तिजोरी खोलने में सबसे ज्यादा दरियादिली दिखाई। वित्त मंत्री ने तमिलनाडु को 1.03 लाख करोड़ रुपये राजमार्गों के निर्माण के लिए आवंटित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार के साथ ही सूबे में कई और आर्थिक कॉरिडोर बनाए जाएंगे।