संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले- धर्म संसद में कही बातें हिंदुत्व नहीं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि पिछले दिनों आयोजित धर्म संसदों के दिए गए कुछ बयान हिंदुओं के शब्द नहीं थे। हिंदुत्व को मानने वाले लोग उन बयानों से कभी सहमत नहीं होंगे। भागवत ने रविवार को मुंबई में 'राष्ट्रीय एकता और हिंदुत्व' विषय पर एक कार्यक्रम में कहा कि धर्म संसद में जो बयान दिए गए वह शब्द कर्म हिंदू नहीं है। उन्होंने कहा, 'यदि कभी मैं गुस्से में कुछ कह दूं तो वह हिंदुत्व नहीं है।' संघ प्रमुख ने रायपुर में हुई धर्म संसद का उल्लेख करते हुए कहा कि आरएसएस या हिंदुत्व को मानने वाले इसमें विश्वास नहीं करते।

संघ प्रमुख ने कहा कि वीर सावरकर ने कहा था कि अगर हिंदू समुदाय एकजुट और संगठित हो जाता है तो वह भगवद् गीता के बारे में बोलेगा न कि किसी को खत्म करने या उसे नुकसान पहुंचाने के बारे में बोलेगा।

देश के हिंदू राष्ट्र बनने के रास्ते पर चलने के बारे में भागवत ने कहा कि यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है। आप इसे मानें या न मानें, यह हिंदू राष्ट्र है।’ उन्होंने कहा कि संघ लोगों को विभाजित नहीं करता बल्कि मतभेदों को दूर करता है। उन्होंने कहा कि हम इस हिंदुत्व का पालन करते हैं।

इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि वह वर्ष 2018 में नागपुर में आयोजित संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित करने के लिए उनसे मिलने गए तो घर वापसी के मुद्दे पर काफी तैयारी करके गए थे। भागवत ने कहा कि उस समय घर वापसी के मुद्दे पर संसद में काफी हंगामा हुआ था और वह बैठक के दौरान मुखर्जी द्वारा पूछे जाने वाले किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए तैयार थे।

महात्मा गांधी के खिलाफ की थी आपत्तिजनक टिप्पणी

बता दे, छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित धर्म संसद में कालीचरण महाराज ने कथित तौर पर महात्मा गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। कई राज्यों में उनके खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं। इस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले साल दिसंबर में हरिद्वार में हुई धर्म संसद में मुसलमानों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया गया था।