महाराष्ट्र : फडणवीस सरकार पर भड़की शिवसेना, कहा- जनता लेगी फर्जीकल स्ट्राइक का बदला

महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार को जो हुआ उसका किसी ने भी सपने में नहीं सोचा था। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार के समर्थन से सरकार बना ली। देवेंद्र फडणवीस दोबारा महाराष्ट्र के सीएम बन गए है और एनसीपी के अजित पवार (Ajit Pawar) डिप्टी सीएम। इस सरकार गठन पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक बार फिर बीजेपी पर हमला बोला है। सामना में लिखा कि यह बेशर्मी की राजनीति है। शरद पवार के साथ धोखा हुआ है। सामना में शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता इस फर्जीकल स्ट्राइक की सुध लेगी।

सामना में लिखा गया है, भारत द्वारा पाकिस्तान पर जिस तरह से सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी, उसी तरह महाराष्ट्र पर फर्जीकल स्ट्राइक की गई है। इस फर्जीकल स्ट्राइक का बदला महाराष्ट्र लिए बिना नहीं रहेगा।

सामना में कहा गया है, सीएम पद की शपथ दिलाने का षड्यंत्र रचा गया। यह एक तरह से जनता से छल और लोकतंत्र की हत्या है। नाराज लोगों ने भाजपा के इस कृत्य का निषेध करना शुरू कर दिया है। शाम होते-होते जुगाड़ की इस सरकार को जोरदार झटका लगा जब शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने जबरदस्त एकजुटता दिखाते हुए अपने-अपने विधायकों को तोड़फोड़ से बचाने के लिए पुख्ता इंतजाम कर लिए।

शिवसेना व राकांपा की पत्रकार परिषद में उद्धव ठाकरे ने भाजपा की घिनौनी राजनीति की जमकर खबर ली। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के नाम पर खेला जा रहा ये खेल पूरे देश के लिए शर्मनाक है। यह नया हिंदुत्व देखने को मिला है।

इससे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था कि राजभवन में जो कुछ भी हुआ, वह महाराष्ट्र में लोकतंत्र पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' के समान है। उद्धव ठाकरे ने कहा था कि हम जो भी कहते और करते हैं वो खुलकर करते हैं और दिन के उजाले में करते हैं। इस तरह चोरी-छिपे रात के अंधेरे में नहीं। यह राज्य के लोकतंत्र पर सर्जिकल स्ट्राइक है।

बता दे, शनिवार शाम को हुई एनसीपी की बैठक में अजित पवार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए पार्टी ने उन्हें विधायक दल के नेता पद से हटा दिया। एनसीपी ने उनके स्थान पर प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील को विधायक दल का नया नेता चुना है और उन्हें अन्य निर्णयों के लिए अधिकृत किया गया है। बैठक में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और वरिष्ठ नेताओं के साथ ही विधायक शामिल हुए। उन्हें विधायकों को व्हिप जारी करने के साथ ही अन्य अधिकार दिए गए थे, जो तत्काल प्रभाव से वापस ले लिए गए।