तमिलनाडु सरकार पर फिलहाल खतरा टल गया है क्योंकि मद्रास उच्च न्यायालय ने बंटा हुआ फैसला दिया है। जीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने विधायकों को अयोग्य करार देने के विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को बरकरार रखा जबकि जस्टिस एम सुंदर ने इसे रद्द कर दिया। अब चीफ जस्टिस के बाद आने वाले वरिष्ठतम न्यायाधीश इस मामले पर नए सिरे से सुनवाई करेंगे।
चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने विधानसभा स्पीकर के फैसले को सही ठहराया और कहा कि स्पीकर के पास इसका अधिकार है। वहीं बेंच के दूसरे जज ने इसके उलट फैसला सुनाया। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद फिलहाल पलानीस्वामी सरकार पर कोई खतरा नहीं है।
आपको बता दें कि 18 विधायकों को अन्नाद्रमुक के बागी नेता टीटीवी दिनाकरण के साथ वफादारी निभाने पर अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इन सभी विधायकों को स्पीकर पी धनपाल ने अयोग्य ठहरा दिया था जिसके बाद सभी ने इस फैसले के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट के फैसले का सीधा असर राज्य की सरकार पर पड़ता। ऐसे में यदि कोर्ट स्पीकर के फैसले को गलत ठहराती तो विधानसभा में वर्तमान सरकार को बहुमत सिद्ध करना पड़ता। जिसमें पलानीस्वामी को विधायकों की पर्याप्त संख्या जुटाने में परेशानी हो सकती थी।
वर्तमान में तमिलनाडु में विधानसभा की 234 सीटें हैं। जिसमें से एआईएडीएमके के पास 114, डीएमके के पास 98 और टीटीवी के पास एक विधायक हैं। इसके अलावा 18 विधायक ऐसे हैं जिनकी किस्मत का फैसला मद्रास हाईकोर्ट के पास है। इन 18 विधायकों ने दूसरे लोगों के साथ मिलकर पिछले साल 22 अगस्त को राज्यपाल सी विद्यासागर से मुलाकात की थी। उनका कहना था कि वह पलानीस्वामी सरकार में अपना विश्वास खो चुके हैं। इन्होंने पलानीस्वामी-पन्नीरसेल्वम सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था।