मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में दोनों बड़ी पार्टियों के बीच जबर्दस्त कांटे की टक्कर देखें को मिली है। किसी भी पार्टी को अकेले के दम पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस 114 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है जबकि एक पर वह आगे चल रही है। वहीं बीजेपी को 109 सीटों पर जीत मिली है। बीजेपी 15 सालों से मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज थी। मध्यप्रदेश में सरकार बनाने में अब निर्दलीयों, बसपा एवं सपा की अहम भूमिका होने की उम्मीद है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार कमलनाथ ने देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर दावा किया कि उनके पास स्पष्ट बहुमत है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी निर्दलीय विधायकों के संपर्क में है। प्रदेश की इन दोनों प्रमुख पार्टियों के अलावा समाजवादी पार्टी (सपा) को एक सीट बिजावर मिल गई है। वहीं, 4 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे। इनके अलावा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) 2 सीटों पथरिया एवं भिंड में जीती है।
इससे पहले कमलनाथ ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को पत्र लिखकर मुलाकात का वक्त मांगा था। अपने पत्र में उन्होंने लिखा था कि उनके पास स्पष्ट बहुमत है और राज्यपाल उन्हें सरकार बनाने का न्यौता दें। इस पर राजभवन की तरफ से जवाब दिया गया कि चुनाव आयोग की तरफ से नतीजों की आधिकारिक घोषणा होने से पहले राज्यपाल किसी भी पार्टी से मुलाकात नहीं करेंगी।
बीजेपी सांसद का दावा- निर्दलीय हैं संपर्क मेंइस बीच जबलपुर से बीजेपी सांसद राकेश सिंह ने ट्वीट के जरिए दावा किया है कि निर्दलीय और अन्य विधायक बीजेपी संपर्क में हैं। उन्होंने दावा किया बीजेपी नेता बुधवार को राज्यपाल से मुलाकात करेंगे।
इस चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत करीब आठ फीसदी बढ़ा। उसे करीब 41 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि भाजपा को भी 41 फीसदी से थोड़ा अधिक वोट मिला। इसके अलावा, प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस इस बार एकजुट होकर चुनाव लड़ी, जबकि इससे पहले के चुनाव में कांग्रेस में गुटबाजी नजर आती थी, जिसके कारण उसे सत्ता से 15 साल तक बाहर रहना पड़ा था। कांग्रेस द्वारा अपने वचन पत्र (घोषणा पत्र) में मध्यप्रदेश के सभी किसानों को दो लाख रूपये तक कर्ज माफ करने एवं उनकी विभिन्न उपजों पर बोनस देने का वादा कांग्रेस के लिए इस विधानसभा चुनाव में फायदेमंद रहा। कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन करने की यह भी एक मुख्य वजह रही। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान इन दोनों वादों को प्रमुखता से अपनी सभी चुनावी सभाओं में उठा कर लोगों को पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए आकर्षित किया था।
साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भापजा ने 165 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस ने 58 सीटें, बसपा ने चार एवं तीन निर्दलीय के खाते में गए थे।