मध्‍य प्रदेश : 17 दिसंबर को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में शपथ लेंगे कमलनाथ, समारोह में शामिल हो सकते है मायावती और अखिलेश

मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद आखिरकार काफी गहमागहमी के बाद मध्‍य प्रदेश का मुख्‍यमंत्री तय हो गया है। काफी माथापच्ची और सियासी बैठकों के बाद आखिरकार गुरुवार की रात यह फैसला हो गया कि कमलनाथ ही राज्य के मुख्यमंत्री होंगे। दरअसल, मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार थे। एक कमलनाथ और दूसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया। मगर कांग्रेस हाईकमान ने काफी सोच-समझने के बाद कमलनाथ के नाम पर मंजूरी दे दी। कमलनाथ को राज्‍यपाल ने प्रदेश में सरकार बनाने का न्‍यौता दिया है। कमलनाथ ने आज (14 दिसंबर) राज्‍यपाल आनंदी बेन से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। इस दौरान उनके साथ दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी और अरुण यादव समेत कुछ नेता भी मौजूद रहे। कमलनाथ छिंदवाड़ा से नौ बार के सांसद रहे हैं। उन्हें चुनाव से ऐन वक्त पहले कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था।

समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक कमलनाथ 17 दिसंबर को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में दोपहर 01:30 बजे मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेंगे। कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में बसपा प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हो सकते हैं। कमलनाथ ने मायावती और अखिलेश यादव को खुद फोन करके शपथ ग्रहण समारोह में आने के लिए न्योता दिया है।

दरअसल, मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार थे। एक कमलनाथ और दूसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया। मगर कांग्रेस हाईकमान ने काफी सोच-समझने के बाद कमलनाथ के नाम पर मंजूरी दे दी। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस ने यह फैसला आगे की रणनीति और बीजेपी से एक डर को भी ध्यान में रखकर लिया है। ऐसी खबरें थीं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी कार्यकर्ता मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते थे और युवा की बात करने वाले राहुल गांधी उन्हें सीएम बना सकते थे, मगर ऐसा नहीं हुआ। वहीं राज्य में नवनिर्वाचित विधायक और पार्टी नेता कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। कुर्सी एक और दावेदार दो। अब कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि आखिर दो दावेदारों में से किसे राज्य का मुखिया बनाया जाए, जिससे बीजेपी को किसी तरह से बाजी पलटने से रोका जा सके। इसलिए कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले की घड़ी में युवा जोश के बदले अनुभव को तरजीह दी। वैसे भी मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के नाम पर युवा जोश बनाम अनुभव की ही लड़ाई थी।

हम सब मिलकर वादों को पूरा करेंगे, मुझे सीएम पद की भूख नहीं

सीएम चुने जाने के बाद कमलनाथ ने कहा कि सीएम पद मेरे लिए मील का पत्थर है। समर्थन के लिए ज्योतिरादित्य का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने स्वीकार किया कि आगे आना वक्त चुनौती भरा है। कमलनाथ ने ये भी कहा, "हम सब मिलकर वादों को पूरा करेंगे। मुझे सीएम पद के लिए भूख नहीं है। कोई मांग नहीं थी।" कमलनाथ ने कहा कि हम एक नई पारी की शुरुआत करेंगे।

कमलनाथ गुरुवार देर रात भोपाल पहुंचे, जहां हवाईअड्डे पर उनके समर्थकों ने ‘जय जय कमलनाथ’ के नारे से उनका स्वागत किया। वहां से वह विधायक दल के नेता के चयन के लिए नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक के लिए सीधे पार्टी कार्यालय गए। कांग्रेस की अगुआई वाली पिछली सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे कमलनाथ मध्य प्रदेश में कांग्रेस द्वारा सत्तारुढ़ भाजपा के खिलाफ जीत दर्ज करने के समय से ही मुख्यमंत्री पद के शीर्ष दावेदार थे। राज्य में पिछले 15 साल से भाजपा सत्ता में थी। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे।

गुरुवार को सूत्रों के मुताबिक यह भी कहा जा रहा था कि कमलनाथ के मंत्रिमंडल में 12 मंत्री होंगे। इन‍की लिस्‍ट कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह बना रहे हैं। विधानसभा चुनाव में राज्य की 230 सीटों में से कांग्रेस को 114 सीटें मिली है वहीं भाजपा को 109 सीट पर जीत मिली है। बसपा को दो और सपा को एक सीट मिली है।