इस बार कैसा है शहरी और ग्रामीण मतदाताओं का बीजेपी के प्रति मूड, चौंकाने वाला सर्वे

राजनीतिक सुधारों पर नजर रखने वाली संस्था एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के एक सर्वे से केंद्र में अपनी वापसी के लिए जोरशोर से प्रयास में लगी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को झटका लग सकता है। इस सर्वे में सामने आया है कि इस बार शहरी वोटर बीजेपी से नाराज दिख रहे हैं। दरहसल, बीजेपी (BJP) की निगाहें खासकर शहरी मतदाताओं पर हैं, जहां पार्टी की अच्छी-खासी पैठ मानी जाती है। दरहसल, एडीआर ने आम जन से जुड़े 24 प्रमुख मुद्दों को लेकर शहरी मतदाताओं के बीच एक सर्वे किया। इस सर्वे में शहरी वोटर (अर्बन वोटर) ने रोजगार, स्वास्थ्य, पानी, प्रदूषण और शिक्षा समेत तमाम मोर्चे पर मोदी सरकार (Modi Government) के कामकाज को लेकर बेहद निराशा जताई है और औसत से भी कम यानी बिलो एवरेज रेटिंग दी है। जो साफ-साफ बीजेपी (BJP) के लिए 'खतरे की घंटी' है।

एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के सर्वे के मुताबिक शहरी मतदाताओं के लिए रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। सर्वे में 51.60 फीसद मतदाताओं ने कहा है कि रोजगार का अवसर उनकी प्राथमिकता है और उन्होंने इस फ्रंट पर मोदी सरकार के कामकाज को पूरी तरह नकार दिया है। मोदी सरकार भले ही नई नौकरियां पैदा करने का दावा कर रही हो, लेकिन शहरी मतदाता रोजगार के मोर्चे पर सरकार द्वारा उठाये गए कदम को औसत से भी कम मानते हैं। वहीं, 39.41 फीसद मतदाताओं ने स्वास्थ्य, 37.17 फीसद मतदाताओं ने यातायात व्यवस्था, 35.03 फीसद मतदाताओं ने पीने का पानी, 34.91 फीसद मतदाताओं ने अच्छी सड़क और 34.14 फीसद मतदाताओं ने पानी और वायु प्रदूषण को अपना प्रमुख मुद्दा बताया है। इसी तरह रोजमर्रा के जीवन से जुड़े तमाम मुद्दों, जैसे- स्वास्थ्य सुविधाएं, पीने का पानी, सड़क, शिक्षा, अतिक्रमण और बिजली जैसे मुद्दों पर भी शहरी मतदाता सरकार के साथ नहीं खड़े हैं। इन मुद्दों पर भी 5 में से 2.64 से भी कम यानी औसत से भी कम अंक दिया है।

शहरी मतदाताओं के साथ-साथ ग्रामीण मतदाता भी सरकार के कामकाज से खुश नहीं है। एडीआर के ही सर्वे में यह बात भी सामने आई है। इस सर्वे के मुताबिक ग्रामीण मतदाताओं के लिए भी रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है और 44.21 फीसद ग्रामीण मतदाता इसके पक्ष में हैं, लेकिन उनका भी मानना है कि मोदी सरकार ने इस फ्रंट पर खास काम नहीं किया है। ग्रामीण मतदाताओं ने रोजगार के मोर्चे पर सरकार के कामकाज को 5 में से 2.17 रेटिंग दी है। यानी औसत से भी कम।