ज्योतिरादित्य की हार के साथ थमा सिंधिया राजघराने का राजनीति सफर !

निर्वाचन आयोग की ओर से बृहस्पतिवार को जारी मतगणना के रुझानों के अनुसार भाजपा जहां 300 सीटों पर आगे चल रही थी वहीं, कांग्रेस 51 सीटों पर आगे है, आयोग ने सभी 542 सीटों के रुझान जारी किये हैं. अगर मौजूदा रुझान अंतिम परिणामों में परिवर्तित हुए तो भाजपा 2014 के अपने प्रदर्शन में सुधार कर ज्यादा सीटें जीतती दिख रही है. 2014 में भाजपा ने लोकसभा की 543 सीटों में से 282 सीटें जीती थीं. भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 2014 की 336 सीटों के मुकाबले 343 सीटों पर काबिज होता दिख रहा है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार गुना पर भी कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को हार का सामना करना पड़ा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कृष्ण पाल सिंह ने करीब 1.25 लाख वोटों से मात दी है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार ने इस बात की भी तस्दीक कर दी कि अब वह इस बार संसद के पटल पर गुना का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाएंगे। आजाद भारत के इतिहास में ये शायद पहला मौका है जब सिंधिया राजघरानें का कोई भी व्यक्ति संसद सदस्य के रुप में शपथ नहीं लेगा। भारत में सिंधिया परिवार उन राजघरानों में शुमार है जिसे बहुत ही समृद्ध और संपन्न माना जाता है। इस परिवार का राजनीतिक इतिहास भी बहुत मजबूत है। आजाद भारत का दूसरा चुनाव 1957 में हुआ था और तब से लेकर आज तक सिंधिया परिवार का कोई न कोई सदस्य सांसद बनता रहा है। बात गुना सीट की करें तो यहां पर सिंधिया परिवार के सदस्य को अब तक कभी हार नहीं मिली थी। 1952, 1962 और 1984 में सिंधिया परिवार का सदस्य इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा था। राजमाता विजयाराजे सिंधिया एक बार चुनाव जरूर हारी थीं, लेकिन मध्यप्रदेश से नहीं, रायबरेली से।

विजया राजे सिंधिया

1957 और 1967 में राजमाता विजया राजे सिंधिया ने गुना लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। जबकि 1962 में विजया राजे सिंधिया ने ग्वालियर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था। इसके बाद राजमाता ने 1989 से लेकर 1999 तक गुना से सांसद चुनी जाती रही थी।

माधव राव सिंधिया

1971 से माधव राव सिंधिया ने गुना लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करना शुरु किया था। वह 1971 से लेकर 1984 तक गुना से सांसद चुने गए थे। इसके बाद माधव राव सिंधिया ने ग्वालियर सीट की नुमाइंदगी लोकसभा में 1984 से लेकर 1999 तक की। माधव राव सिंधिया दोबारा 1999 में गुना चले गए और वह फिर से वहां से संसद सदस्य निर्वाचित होकर लोकसभा में पहुंचे थे।

ज्योतिरादित्य सिंधिया

2002 से 2019 तक लगातार गुना सीट की नुमाइंदगी लोकसभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया करते आए हैं। 2019 में यह पहला मौका है जब ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार ने यह तय कर दिया की 1957 के बाद से पहली बार कोई सिंधिया परिवार व्यक्ति संसद में नहीं पहुंचेगा।