नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की आशिकी 'लैला-मजनूं' जैसी : असदुद्दीन ओवैसी

लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर नेताओं की राजनीतिक बयानबाजी दिन भर दिन बढ़ती जा रही है। अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्‍तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर नरेन्द्र मोदी को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि इन दोनों में लैला-मजनू से ज्यादा मोहब्बत है। लैला और मजनू सुनो, जब तुम्हारी मोहब्बत की दास्तान लिखी जाएगी तो उसमें नफरत का नाम लिखा जाएगा। उस दास्तान में मोहब्बत का नाम नहीं होगा। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि दास्तान में लिखा जाएगा कि जब से ये दोनों एक साथ आए, हिंदुस्तान में हिंदू-मुसलमान तनाव में है। उन्होंने लोगों से कहा आप खुद तह करे कि इसमें लैला कौन है और मजनू कौन है। अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा कि चायवाला बनकर उन्होंने देश को गुमराह किया और अब चौकीदार बन कर वही काम कर रहे हैं। पीएम मोदी जब चायवाला बने तो उस वक्त मैंने कहा कि चाय की केतली, चूल्हा मैं दूंगा चाय बनाकर वो पिलाएं।

पीएम मोदी वो शख्स हैं जो कभी नाले की गैस से पकौड़ा बनाते हैं। और अब जब वो चौकीदार बन चुके हैं तो वो उन्हें टोपी और सीटी देंगे। ये बेहतर होता कि पीएम नरेंद्र मोदी टोपी और गले में सीटी बांधकर देश की चौकीदारी करें।

मालूम हो कि एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कुछ दिनों पहले ही कहा था कि उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्हें ‘नफरत भरे भाषण’ देने वाले शख्स के तौर पर पेश किया जाता है या किसी खास तबके की नुमाइंदगी करते दिखाया जाता है। ओवैसी ने कहा था कि एक सांसद के तौर पर मिली जिम्मेदारियां पूरी करने पर ध्यान होने के कारण वह इन चीजों की परवाह नहीं करते।

बता दें कि बिहार की किशनगंज, पूर्णियां और कटिहार जैसी सीमांचल की सीटों पर 18 अप्रैल को मतदान है। किशनगंज में अल्पसंख्यक मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद को देखते हुए ओवैसी इस इलाके में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यहां से उन्होंने स्थानीय नेता अख्तरुल इमान को टिकट दिया है।

किशनगंज से जनता दल यूनाइटेड ने महमूद अशरफ को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने मोहम्मद जावेद को उतारा है। 2014 में इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस के असरार-उल-हक़ क़ासमी ने जीत दर्ज की थी। इस बार जेडीयू-बीजेपी एक साथ होने से यहां के समीकरण बदले हुए है।