महाराष्ट्र की महायुति सरकार द्वारा चंद महीने शुरू की गई लड़की बहिन योजना खूब पॉपुलर हो चुकी है। इस योजना के बहाने महाराष्ट्र सरकार को बदनाम करने की विपक्षी पार्टियों ने खूब साजिश रची लेकिन लड़की बहिन योजना खूब सफल रही। जुलाई माह में शुरू की गई इस योजना ने महाराष्ट्र की महिलाओं का दिल जीत लिया है।
महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार के वित्त मंत्री अजित पवार ने जून माह में वित्तीय बजट पेश करते हुए महिलाओं के लिए इस योजना का ऐलान किया था। इस योजना के तहत हर वर्ग की पात्र लाभार्थी महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये वित्तीय सहायता के रूप में देती हैं।
डेढ़ करोड़ महिलाएं करवा चुकी है रजिस्ट्रेशनलड़की बहिन योजना में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए महिलाओं की लंबी कतार देखने को मिली। इस योजना के तहत अभी तक राज्य की डेढ़ करोड़ से ज्यादा महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया जा चुका है और अगस्त से उनके खाते में 15,000 रुपये आने शुरू हो गए। जबकि विरोधियों ने इस योजना की राह में बदनामी के खूब कांटे बोये।
विरोधियों ने बदनाम किया लेकिन सरकार ने समय से लागू की योजनाचुनाव से चार महीने पहले शुरू की गई इस योजना की बड़ी सफलता के डर से विरोधी पार्टियों ने इस योजना को तरह-तरह से बदनाम करना शुरू कर दिया था। शुरूआत में इस योजना को विपक्ष ने इसे महाराष्ट्र सरकार का जुबानी जुमला करार दिया। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने अपना वादा पूरा करते हुए जुलाई से ही 1500 रुपये लाभार्थी महिलाओं के खाते में डलवाना शुरू कर दिया।
ये ही वजह है महाराष्ट्र में महिलाओं ने इस योजना की आलोचना को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया और पंजीकरण प्रक्रिया जारी रखी।
विरोधियों ने योजना के खिलाफ रची खूब साजिशजब विपक्षी पार्टियों को लगा कि ऐसे उनकी दाल नहीं गलने वाली तो उन्होंने आलोचना का स्वर बदल दिया और इस योजना के कारण राज्य के अतिरिक्त वित्तीय बोझ की बात की और विरोधियों ने कहा राज्य सरकार के पास लड़की बहिन योजना की राशि चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं, इसलिए सरकार हर हफ्ते तीन हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले रही है, इसलिए वित्त विभाग इस योजना का विरोध कर रहा है। हालांकि वित्त मंत्री अजित पवार ने इन खबरों का खंडन कर विपक्षियों के आरोपों की पोल खोल दी।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में अटकाए रोड़े, सरकार ने निकाला ये हलइतना ही नहीं सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाने से लेकर ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया को जानबूझकर बाधित करने के प्रयास किया गया। आधिकारिक पोर्टल पर भ्रामक जानकारी पेश करके, विरोधियों ने संभावित लाभार्थियों को रोकने का लक्ष्य रखा, जिससे ऐसी बाधाएं पैदा हुईं। लेकिन महायुति सरकार ने हार नहीं मांगी इस योजना को व्यापक बनाने के लिए ऑफ़लाइन आवेदनों को स्वीकार करना शुरू कर दिया।
सरकार ने अफवाहों को दूर करने के लिए कदम उठाएइस सबके बाजवूद लड़की बहन योजना की लोकप्रियता और विश्वसनीयता बरकरार रही। सरकार ने अफवाहों को दूर करने के लिए कदम उठाए, खासकर उन अफवाहों को जो चुनाव अवधि के दौरान चुनाव आयोग की आचार संहिता के कारण योजना के क्रियान्वयन में रुकावट का सुझाव दे रही थीं।
दिवाली के पहले दी योजना की किश्तमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आश्वासन दिया कि यह पहल न केवल चुनावों से पहले जारी रहेगी, बल्कि चुनाव के बाद भी जारी रहेगी। इसके अलावा दिवाली से पहले किश्त वितरण करवाया।
उद्धव ठाकरे ने कहा अगर मैं सत्ता में आया तो बंद कर देंगे ये योजनाएक और भी अधिक प्रत्यक्ष राजनीतिक चुनौती में, पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने धमकी दी कि अगर वे सत्ता में वापस आए तो वे इस योजना को बंद कर देंगे। इसके अलावा विरोधियों द्वारा नैतिकता का मुद्दा उठाया गया था। यह दिखावा किया गया कि सरकार रुपये देकर महिलाओं के वोट खरीदना चाहती है। ऐसी सामग्री के कुछ वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाए गए थे।
खातों में पैसा जमा होते ही विरोधियों की बोलती हुई बंदवहीं विपक्षी गुटों के बहकावे में आकर कुछ महिलाओं को जानबूझकर यह मांग करते हुए दिखाया गया कि हमें 1500 रुपये नहीं चाहिए, सिलेंडर सस्ता करो। लेकिन तब तक महिलाओं के खातों में पैसे जमा होने लगे थे और महिलाओं का सरकार पर भरोसा मजबूत हो गया था!