कोटा : 107 बच्चों की मौत, अस्पताल में घूम रहे थे सुअर के बच्चे, टूटे थे दरवाजे

राजस्थान में कोटा के जेके लोन अस्पताल में 107 बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य सेवाएं सवालों के घेरे में हैं। आपको बता दे, शनिवार सुबह एक और नवजात बच्ची ने दम तोड़ा। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पिछले दिनों हॉस्पिटल की जांच के दौरान पाया कि किसी भी खिड़की के शीशे नहीं थे। दरवाजे टूटे हुए थे। ऐसे में प्रतिकूल मौसम से भी बच्चे पीड़ित थे। इतना ही नहीं, आयोग ने सुअर के बच्चों को अस्पताल परिसर में घूमते पाया। आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए राजस्थान के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने के लिए लिखा गया है कि जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी 7 जनवरी को सभी दस्तावेजों के उपलब्ध हों।

बता दें कि 29 दिसंबर को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण के प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने टीम के साथ अस्पताल का दौरा किया था। उन्होंने बताया कि अस्पताल में समान्य रखरखाव की चीजें भी उपलब्ध नहीं हैं। सफाई व्यवस्था भी बेहद खराब है। आयोग ने पाया कि अस्पताल उपकरणों का कोई रेकॉर्ड नहीं बनाया गया था।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला भी पीड़ित परिवारों से मिलने कोटा पहुंचे। इस दौरान जोधपुर एम्स की टीम भी अस्पताल पहुंची। टीम ने डॉक्टरों, कर्मचारियों से चर्चा करने के साथ-साथ वहां की व्यवस्था का भी जायजा लिया। इससे पहले शुक्रवार सुबह दो बच्चियों की मौत हुई थी।

राज्य सरकार ने बच्चों की मौत के मामले में जांच कमेटी गठित की थी। कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चों की मौत का मुख्य कारण हाइपोथर्मिया बताया गया है। इसके अलावा अस्पताल के लगभग हर तरह के उपकरण और व्यवस्था में खामियां बताई गई हैं।

शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने अस्पताल प्रबंधन के साथ बजट पर चर्चा की। इस दौरान पता चला कि हर खाते में पैसा पड़ा है। एनएचएम के खाते में 1 करोड़ रुपए हैं जबकि भामाशाह और आरएमआरएस खाते में भी पैसा है। नवजात बच्चों के पीआईसीयू की सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन के लिए 22.80 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई थी, इसमें से 15 लाख रुपए सीएमएचओ ने अप्रैल में ही ट्रांसफर कर दिए। लेकिन, यह पैसा भी पूरा खर्च नहीं किया गया, सिर्फ 8.50 लाख रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) भेजा गया। सीएमएचओ ने जब पूरे बजट का विस्तृत ब्योरा रखा तो मंत्री ने पूछा कि बाकी पैसा कहां है, कहां खर्च किया तो कोई भी जवाब नहीं दे पाया।

नवजातों का तापमान 36.5 डिग्री तक होना चाहिए। नर्सरी में वॉर्मर के जरिये तापमान 28 से 32 डिग्री के बीच रखा जाता है। जिसके लिए अस्पताल में 71 वार्मर हैं, जिसमें से 44 खराब पड़े हैं। यही मशीन खराब होने से नर्सरी में तापमान गिर गया और बच्चे हाइपोथर्मिया के शिकार हुए। मंत्री शर्मा ने जनरल वार्ड के 90 बेड की तीन यूनिट, एनआईसीसीयू की 36 वार्ड की 3 यूनिट और पीआईसीयू की 30 वार्ड की 3 यूनिट के प्रस्ताव 7 दिन में भिजवाने के निर्देश दिए हैं।

उधर, इस मामले को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने अस्पताल का दौरा करने के बाद वसुंधरा राजे का नाम लिए बगैर पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार को अस्पतालों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने दावा किया कि पिछली सरकार ने जो कमियां की हैं, हम उन्हें दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। बीजेपी पर हमला बोलते हुए शर्मा ने कहा कि अस्पताल की तरफ से बेहतर सुविधाओं के लिए बार-बार फंड मांगा गया। पर, पूर्व की बीजेपी सरकार ने इसकी अनदेखी की। हम अब अस्पताल की सुविधा बेहतर करने में जुटे हैं।