जानिए आखिर क्यों कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने में लग रहा है समय

दुनिया भर में कोरोना वायरस का कहर तेजी से फैल रहा है। कोरोना वायरस (Coronavirus) आज दुनिया के 195 से ज्यादा देशों को अपने गिरफ्त में ले लिया है। इस वायरस से 3,80,000 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके है। सोमवार का दिन पूरी दुनिया में 41,332 नए मामले सामने आए है वहीं, दुनिया भर में 1875 लोगों की मौत भी हो गयी। बता दें कि कोरोना से संक्रमित 12000 से ज्यादा लोगों की हालत अब भी नाजुक है और वे सभी इंटेंसिव केयर (ICU) में भर्ती हैं। दुनिया भर में इस संक्रमण से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़कर 16500 से ज्यादा हो गया है।

आपको बता दे, 31 दिसंबर को चीन के वुहान प्रांत में इससे पीड़ित कई लोगों के बारे में जानकारी सामने आई। तभी से वैज्ञानिक इसका इलाज ढूंढ रहे हैं, उन्हें इस दिशा में तेजी से काम भी किया है, लेकिन फिर भी इसका कारगर इलाज ढूंढने और उसे आम जनता तक पहुंचने में काफी समय लगेगा।

वैज्ञानिकों के सामने एक चुनौती यह है कि वायरस खुद को बदल भी सकता है। वह खुद में अपने वातावरण के अनुसार बदलाव कर सकता है। उनकी खुद का कोई सेल स्ट्रक्चर नहीं होता। वह हमारे ही प्रोटीन से पोषित होता है। उसकी कमजोरी भी हमारी कमजोरी बन जाती है। इसीलिए ज्यादातर दवाइयां जो उसे नुकसान पहुंचाएंगी हमें भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की वायरोलॉजिस्ट कार्ला किर्कगार्ड के मुताबिक ‘ऐसे में ऐसी दवाई बनाना, जो केवल वायरस को ही खत्म करे वह भी हमें नुकसान न पहुंचाए, सबसे बड़ी चुनौती है।’ यह भी इलाज में देरी की एक और वजह है।

सही दवा ढूंढने, उसका टीका बनाने के बाद उसका परीक्षण कर बड़े पैमाने पर लोगों के लिए उपलब्ध कराने में काफी समय लगेगा। इसलिए ज्यादातर वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस साल के अंत तक आम जनता तक इस बीमारी का टीका पहुंचना मुश्किल ही है। वहीं इलाज को लेकर तेजी में भी चुनौतियां कम नहीं हैं। कारगर दवा का बीमारी के हर स्तर पर प्रभावी होना सबसे बड़ा मुद्दा है। जिन दवाइयों ने उम्मीद जगाई है वे हर बीमारी की हर स्टेज पर प्रभावी नहीं हैं। यानी शुरुआती लक्षणों जैसे खांसी बुखार के दौरान तो वे अच्छा प्रभाव दिखाती लग रही है, लेकिन ऐसा ही प्रभाव उन्होंने बाद की स्टेज जिसमें निमोनिया और फेफड़ों में पानी भरने जैस लक्षण इस बीमारी को लंबा कर देते हैं।

आपको बता दे, वैज्ञानिक हर तरह से इस मर्ज का इलाज ढूंढ रहे हैं, कई जगह तो वैक्सीन यानी कि टीके के परीक्षण की तैयारी भी शुरू हो गई है। आज दुनिया तकनीकी और विज्ञान में जितनी सक्षम है उतनी पहले कभी नहीं थी। यह भी सच है कि इससे पहले भी बुरे हालातों में इंसान बेहतर होकर सामने आया है।