राजस्थान के इतिहास में पहली बार ट्रेन से असम भेजा गया प्याज, किसान रेल योजना के जरिए किराए में मिली 5 लाख की सब्सिडी

मंगलवार को अलवर के प्याज किसान व्यापारियों ने 220 टन लाल प्याज 1836 किलोमीटर दूर असम में सीधे ट्रेन से भेजे हैं। राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब यहां होने वाली प्याज को ट्रेन से किसी दूसरे राज्य में भेजा गया है। पहली बार अलवर की प्याज रेल से असम भेजी गई है। पूरे प्रदेश में इससे पहले कभी भी प्याज को मालगाड़ी से ट्रांसपोर्ट नहीं किया गया। किसान रेल के जरिए किसानों की उपज को भेजने की उत्तर पश्चिम रेलवे ने यह शुरुआत की है। एक कोच में 10 टन प्याज भेजी है। इस तरह 22 कोच पहली मालगाड़ी में गए हैं। कुल 226 टन प्याज भेजी है। प्याज का राजस्थान से यह पहला रेक जा रहा है। गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे यह प्याज असम में बाहेटा पहुंच जाएगा। वहां जो भाव खुलेगा। उसके अनुसार किसानों को दाम मिलेगा।

अलवर में थोक के भाव 20 रुपए किलो हैं। जबकि असम के बाहेटा में करीब 26 रुपए किलो से अधिक प्याज के भाव हैं। ये भाव घट-बढ़ सकते हैं। जितने भाव होंगे उसके अनुसार किसानों को नफा-नुकसान होगा। लेकिन व्यापारी पप्पू भाई प्रधान का कहना है कि यह किसान व व्यापारियों के लिए नया रास्ता खुला है। जिससे किसान को भी फायदा है। सरकार की योजना का भी लाभ मिलेगा। इसकी शुरूआत कुछ किसान व व्यापारियों ने की है। अलवर जिले में प्याज के सीजन में मंडी में एक दिन में 1 लाख कट्टे तक प्याज पहुंचती है। अभी व्यापारी मंडी से प्याज खरीदते थे। ज्यादातर बाइ रोड ट्रांसपोर्ट के जरिए दूर-दूर तक लेकर जाते हैं। पहली बार रेल से प्याज का ट्रांसपोर्ट हुआ है। जिससे भाड़ा भी कम हुआ है।

रेलवे के सीनियर डीसीएम मुकेश सैनी ने बताया कि अलवर से असम के बाहेट 220 टन प्याज का पार्सल के तहत किराया करीब 10 लाख रुपए है। लेकिन किसान रेल योजना के जरिए 50 प्रतिशत सब्सिडी है। मतलब 5 लाख रुपए ही किराया लगेगा। यह योजना उन जगहों के लिए है। जहां किसानों की प्रमुख फसल पैदा होती है और उसे बाहर भेजना होता है। ऐसे उपज क्षेत्र चिह्नित है। प्याज में नागौर, जोधपुर, सीकर व अलवर स्टेशन हैं। यहां के किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं।