कर्नाटक में ब्लैक फंगस का कहर, अब तक 303 लोगों की हुई मौत; बेंगलुरु में सबसे ज्यादा 104 ने तोड़ा दम

कोरोना से ठीक हुए मरीजों को अब पोस्ट कोविड बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। इसी में एक बीमारी है म्यूकोरमायसिस (Mucormycosis) यानी ब्लैक फंगस (Black Fungus)। हालिया आंकड़ों के मुताबिक, देश में 40 हजार से ज्यादा लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आ चुके हैं। विशेषज्ञ इस बीमारी को काफी गंभीर मान रहे हैं। कर्नाटक में ब्लैक फंगस से अब तक 303 लोगों की मौत हो गई है। इसमें से 34% यानी 104 लोग बेंगलुरु से हैं। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक कर्नाटक में 9 जुलाई तक 3491 मरीजों में म्यूकोरमायसिस होने का पता चला, जिसमें से 8.6% की मौत हो गई। सबसे ज्यादा 1109 केस बेंगलुरु के शहरी ज़िलों में मिली। इसके बाद धाड़वाड़ में 279, विजयपुरा में 208 और कालबुर्गी में 196 मरीज मिले। बेंगलुरु के बाद सबसे ज्यादा मौतें कालबुर्गी में हुई, यहां कुल 23 लोगों की जान गई।

क्या थी वजह?

देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों में ब्लैक फंगस की कई शिकायतें आई थी। ये संक्रमण कैसे हुआ इसको लेकर फिलहाल साफ तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। हालांकि कहा जा रहा है कि जो कोरोना मरीज डायबिटीज के शिकार थे वो इस फंगस के सबसे ज्यादा शिकार हुए। इसके अलावा स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल से भी मरीज़ म्यूकोरमायसिस के शिकार हुए।

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि मई से लेकर जून के शुरुआती दिनों के बीच हुई मौतों की वजह एंटी-फंगल दवा, लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी दवा की भारी कमी थी।

दवा की अत्यधिक कमी के कारण म्यूकोर्मिकोसिस के रोगियों को दवा की एक खुराक 2-3 दिनों में एक बार दी जाती थी, जबकि दिन में 5-7 खुराक की आवश्यकता होती थी।

एक डॉक्टर के हवाले अखबार ने बताया कि, 'दवा उपलब्ध नहीं थी। ये मानकर कि सरकारी अस्पतालों में दवा बेहतर उपलब्ध है, कई मरीजों को निजी से सरकारी अस्पतालों में भेज दिया गया। दवा की स्थिति जून के मध्य में ही ठीक हुई।'

दांतों तक पहुंचा ब्लैक फंगस

ब्लैक फंगस दांतों तक पहुंच गया है। इतना ही नहीं ये नाक, कान, गला और दातों के मार्फत दिमाग तक पहुंच कर लकवा में तब्दील कर रहा है। लिहाजा डॉक्टरों की राय है कि दांत में दर्द हो, हिलने लगा हो तो फौरन दांत के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, ये ब्लैक फंगस की शुरूआत हो सकती है।