लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा नहीं देगी केंद्र सरकार : अमित शाह

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा लिंगायत और वीरशैव लिंगायत को धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों का दर्जा देने के कदम को हिंदुओं को बांटने वाला बताया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मगंलवार को अपने कर्नाटक दौरे के दौरान यह बातें कही। उन्होंने कर्नाटक में ओबीसी कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कहा कि मैं ये भरोसा दिलाता हूं कि लिंगायत समुदाय को बंटने नहीं दिया जाएगा। जब तक भाजपा है तब तक कोई बंटवारा नहीं होगा। लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिद्धारमैया सरकार की सिफारिश को केंद्र सरकार स्वीकार नहीं करेगी।

अमित शाह ने वीरशैव लिंगायत के महंतों से कहा, 'लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने की राज्‍य सरकार की सिफारिश को केंद्र सरकार नहीं मानेगी।'

अल्‍पसंख्‍यक दर्जे का शाह करते रहे हैं विरोध


अमित शाह इससे पहले भी लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों का दर्जा देने की खिलाफत करते रहे हैं। अमित शाह ने सिद्धारमैया सरकार पर यह आरोप लगाया था, 'कांग्रेस लिंगायत समुदाय को बांटने के लिए यह कदम उठा रही है। वो लिंगायतों से प्रेम नहीं करते हैं, बल्कि उनका मकसद येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनने से रोकना है।'

कर्नाटक सरकार ने की है सिफारिश


बता दें, कर्नाटक कैबिनेट ने 19 मार्च को लिंगायत और वीरशैव लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यकों का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश की थी। कर्नाटक सरकार ने नागमोहन समिति की सिफारिशों को स्टेट माइनॉरिटी कमीशन ऐक्ट की धारा 2डी के तहत मंजूरी दी है। कांग्रेस ने लिंगायत धर्म को अलग धर्म का दर्जा देने का समर्थन किया है। वहीं, बीजेपी अब तक लिंगायतों को हिंदू धर्म का ही हिस्सा मानती रही है।


कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी लिंगायत समुदाय को अपनी ओर करने में जुटी हुई है। इससे पहले लिंगायत समुदाय के चित्रदुर्ग मठ के महंत शिवमूर्ति मुरुघा शरानारु ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को पत्र भी लिखा था। उन्होंने पत्र में कहा कि, 'कांग्रेस का लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने का प्रस्ताव सही है। यह समुदाय को बांटने के लिए उठाया गया कदम नहीं है बल्कि यह लिंगायतों की उपजातियों को संगठित करने के लिए किया गया प्रयास है।'

12 मई को वोटिंग, 15 को गिनती

मालूम हो कि 225 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा के लिए 224 सीटों पर एक ही चरण में मतदान होगा। 1 सीट पर एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्य को मनोनीत किया जाता है। कर्नाटक में 12 मई को वोट डाले जाएंगे और 15 मई को वोटों की गिनती होगी। चुनाव आयोग के मुताबिक 17 अप्रैल से 24 अप्रैल तक नामांकन भरे जाएंगे। इसके बाद 25 अप्रैल को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी, जिसके बाद 27 अप्रैल तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकेंगे।