कारगिल विजय दिवस: 22 साल का कैप्टन अनुज जिसकी बहादुरी के किस्से आज भी सुनाए जाते हैं

20 साल पहले 26 जुलाई 1999 को भारत ने करगिल युद्ध में विजय (Kargil Vijay Diwas) हासिल की थी। इस दिन को हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। करीब 60 दिन तक चले इस करगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर देशवासी को गर्व है। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर करगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था, वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के दांत खट्टे किए थे। उसके धुसपैठ की साजिश को नाकाम किया था। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया था। हालांकि ऑपरेशन विजय की शौर्य गाथा लिखने में कई मां भारती के सपूतों ने अपनी जान दे दी थी। कैप्टन अनुज नायर भी उन्हीं में से एक थे।

दिल्ली के रहने वाले अमर शहीद कैप्टन अनुज नायर 17 जाट रेजीमेंट के अधिकारी थे। जिस वक्त कारगिल की जंग में वो शामिल हुए, उस वक्त उम्र सिर्फ 22 साल थी। उन्हें जिम्मेदारी मिली थी पिंपल टू नाम से मशहूर चोटी प्वाइंट 4875 से दुश्मन को खदेड़ने की।

6 जुलाई 1999 को कैप्टन अनुज नायर की चार्ली कंपनी ने बिना किसी हवाई मदद के इस चोटी को पर विजय हासिल करने के लिए कूच कर दिया। चोटी की ऊंचाई थी करीब 16 हज़ार फीट। प्वाइंट 4875 पर पाकिस्तानी सेना ने कई भारी भरकम बंकर बना रखे थे। भारी गोलीबारी के बीच कैप्टन अनुज नायर और उनके सात सैनिकों ने हमला बोल दिया। अकेले अनुज नायर ने पाकिस्तानी सेना के 9 सैनिकों को मार गिराया और तीन मशीनगन बंकरों को तहस नहस कर दिया, लेकिन चौथे बंकर के हमले के दौरान उनपर एक बम का गोला सीधे आकर गिरा। जिससे वो घायल हो गए।

घायल होने के बावजूद ये अनुज नायर और उनके साथी सैनिकों की ज़बरदस्त बहादुरी का नतीजा था कि पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसी बीच दुश्मनों का आरपीजी यानि रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड सीधे कैप्टन अनुज नायर को आ लगा। कुछ ही दिनों बाद शादी का सेहरा उनके सर पर सजने वाला था लेकिन वो तो किसी और मकसद के लिए दुनिया में आए थे। कैप्टन अनुज नायर को उनकी इस बहादुरी के लिए महावीर चक्र से नवाज़ा गया।

बता दे, वैसे तो पाकिस्तान ने इस युद्ध की शुरुआत 3 मई 1999 को ही कर दी थी जब उसने करगिल की ऊंची पहाड़ियों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था। इस बात की जानकारी जब भारत सरकार को मिली तो सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया। इसके बाद जहां भी पाकिस्तान ने कब्जा किया था वहां बम गिराए गए। इसके अलावा मिग-29 की सहायता से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलों से हमला किया गया। इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बम का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान करीब दो लाख पचास हजार गोले दागे गए। वहीं 5,000 बम फायर करने के लिए 300 से ज्यादा मोर्टार, तोपों और रॉकेट लांचर का इस्तेमाल किया गया। लड़ाई के 17 दिनों में हर रोज प्रति मिनट में एक राउंड फायर किया गया। बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यही एक ऐसा युद्ध था जिसमें दुश्मन देश की सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी।