कारगिल विजय दिवस : पाकिस्तान की धोखाधड़ी को दर्शाता है यह युद्ध, भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब

21 साल पहले 26 जुलाई 1999 का वह दिन जब भारतीय सेना द्वारा चलाए गए मिशन ‘ऑपरेशन विजय’ के चलते पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए भारतीय जमीन से हटाया था। इतिहास का यह दिन हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता हैं और शहीद हुए 527 जवानों का सम्मान बढ़ाता है। इस लड़ाई की शुरुआत भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में मई के महीने में कश्मीर के कारगिल जिले से प्रारंभ हुई थी।

जब भी कभी भारतीय सेना में शहीदों को याद किया जाता हैं तो 1999 में हुए कारगिल में शहीद हुए जवानों को जरूर याद किया जाता है जिन्होनें जंग में शहीद होते हुए विजय दिलाई थी। इस साल इस घटना को हुए पूरे 21 साल होने को हैं। लेकिन आज भी शहीद हुए उन 527 जवानों की याद सभी के दिल में सम्मान के साथ जिन्दा हैं। कारगिल युद्ध दुनिया सबसे हाईऐल्स पेटोल फील्ड में लडी गई जंग में से एक है। यह युद्ध पाकिस्तान की धोखाधड़ी को दर्शाता है। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देते हुए विजय प्राप्त की थी।

शिमला समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में एग्रीमेंट हुआ था। समझौते के तय हुआ था कि विंटर सीजन में दोनों देशों की सेनाएं LOC को छोड़कर कम बर्फीले वाले स्थान पर चली जाएंगी। सर्दियों के मौसम में यहां दोनों देशों की सेनाओं को काफी मुश्किल होती थी। ठंड के मामले में ये जगह दुनिया में दूसरे और एशिया में पहले नंबर पर आती है। 9 जनवरी 1995 में यहां का तापमान -60 डिग्री सेल्सियस मापा गया था।

1998 के विंटर में जब भारतीय सेना LOC को छोड़कर कम बर्फीले वाले स्थान पर चली गईं तो पाकिस्तान आर्मी ने धोखे से भारतीय पोस्टों पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तान ने तोलोलिंग, तोलोलिंग टॉप, टाइगर हिल और राइनो होन पर किया था कब्जा। इंडिया गेट, हेलमेट टॉप, शिवलिंग पोस्ट, रॉकीनोब और। 4875 बत्रा टॉप जैसी 400 पोस्टों पर भी कर लिया था कब्जा।

1999 में समर के दौरान जब भारतीय सेना दोबारा अपनी पोस्टों पर गई तो पता चला कि पाकिस्तान आर्मी की तीन इंफेंट्री ब्रिगेड कारगिल की करीब 400 चोटियों पर कब्जा जमाए बैठी थी। पाकिस्तान ने डुमरी से लेकर साउथ ग्लेशियर तक करीब 150 किलोमीटर तक कब्जा कर रखा था। कारगिल युद्ध 20 मई 1999 को शुरू हुआ था, और 26 जुलाई को खत्म हुआ था। कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों की याद में द्रास सेक्टर में कारगिल वार मेमोरियल बनवाया गया जो नवंबर 2004 में बनकर तैयार हुआ। द्रास सेक्टर से वो चोटियां नजर आती हैं, जहां पाकिस्तान की सेना ने कब्जा जमा लिया था।