जंग का अखाड़ा बनी JNU, नकाबपोश लोगों के हमले में 30 घायल, दिल्ली पुलिस एक्टिव, जांच शुरू

दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) एक बार फिर जंग का अखाड़ा बन गई है। रविवार शाम को कुछ नकाबपोश हमलावरों ने जेएनयू कैंपस में लाठी-डंडों के साथ हमला किया, जिसमें कई छात्र घायल हुए हैं। साबरमती हॉस्टल समेत कई बिल्डिंग में जमकर तोड़फोड़ की गई। हमलावरों ने टीचरों को भी नहीं छोड़ा। इस हमले में कम से कम 30 लोग घायल हुए हैं जिन्‍हें एम्‍स में भर्ती कराया गया है। शाम को हुए इस बवाल के बाद जेएनयू, एम्‍स, दिल्‍ली पुलिस मुख्‍यालय के बाहर रातभर प्रदर्शन हुआ। यही नहीं मुंबई समेत देश के कई हिस्‍सों में बड़ी संख्‍या में लोग जेएनयू में हुई हिंसा के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। इस हमले में छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष और प्रफेसर सुचरिता सेन को काफी चोटें आई हैं।

जेएनयू के स्टूडेंट्स ने बताया कि हमलावरों की तादाद 200 के करीब थी और वे बाहरी थे। इस बीच जेएनयू में छात्रों पर हुए हमले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस ने एक स्पेशल टीम गठित की है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने इस जांच के आदेश दिए हैं। दिल्ली पुलिस की जॉइंट कमिश्नर शालिनी सिंह यह जांच करेंगी। दिल्ली पुलिस के सूत्रों की मानें तो जो हमला हुआ है वो कुछ बाहरी लोगों के आ जाने से हुआ था, जिन्होंने अपने चेहरे को ढका हुआ था। सामने आए कुछ वीडियो में महिलाएं भी हाथों में डंडा-लाठी लेकर खड़ी दिख रही हैं। हमलावरों ने हॉस्टल, स्टूडेंट के साथ-साथ फैकल्टी पर भी हमला किया, साथ ही काफी प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया गया। हिंसा को काबू करने के लिए पुलिस कैंपस में घुसी और फ्लैग मार्च किया।

जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर पुलिस के पास तीन शिकायतें आई हैं। हालांकि, अभी तक कोई केस दर्ज किया गया है या नहीं, इसपर अपडेट आना बाकी है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि हमें JNU की हिंसा पर कई शिकायतें मिली हैं जिनपर हम जांच शुरू करेंगे। जल्द ही इस मामले में FIR दर्ज की जाएगी।

दिल्ली पुलिस ने देरी से कार्रवाई के आरोपों के बीच कहा कि उसने फ्लैग मार्च किया और जेएनयू प्रशासन से लिखित अनुरोध मिलने के बाद स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया। हालांकि पुलिस ने यह नहीं बताया कि किसी को गिरफ्तार किया गया है अथवा नहीं। घटना के बाद परिसर के भीतर और आस पास बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है और प्रवेश द्वार को बंद कर दिया गया। छात्रों ने आरोप लगाया कि हमलावरों ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों और शिक्षकों के साथ मारपीट की

जेएनयू में देर रात को जो बवाल हुआ, उसपर अब केंद्र सरकार एक्टिव हो गई है। शिक्षा मंत्रालय की तरफ यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार, प्रॉक्टर और रिक्टर को तलब किया गया है। इस मामले को लेकर देर रात को ही मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर प्रदर्शन हुआ और कई अन्य शहरों में भी प्रदर्शन होने की संभावना है। इस घटना के विरोध में शाम से शुरू हुआ प्रदर्शन देर रात तक जारी रहा। इस दौरान छात्रों के समूह ने जेएनयू कैंपस, एम्‍स और दिल्‍ली पुलिस मुख्‍यालय के बाहर प्रदर्शन किया और नारेबाजी। कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि एम्‍स में उन्‍हें घायलों से मिलने नहीं दिया गया। जेएनयू के समर्थन में मुंबई के भी छात्र आ गए और उन्‍होंने गेटवे ऑफ इंडिया के सामने कैंडल लेकर प्रदर्शन किया। इन लोगों का प्रदर्शन सोमवार सुबह तक जारी है। एमयू में भी छात्रों ने प्रदर्शन किया।

एबीवीपी नेता दुर्गेश का कहना है कि लेफ्ट की छात्र इकाई के 500 छात्र पेरियार हॉस्टल में घुस गए और अंदर बैठे एबीवीपी कार्यकर्ताओं को पीटा। हमारे अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मनीष जांगिड़ को भी बुरी तरह घायल किया है। आरोप है, कैंपस में पहुंची पुलिस छात्रों को बचाने के बजाय चुप रही।

जेएनयू के पूर्व छात्र तथा केन्द्रीय मंत्री एस. जयशंकर और निर्मला सीतारमण ने जेएनयू में हुई हिंसा की घटना की निंदा की है। सीतारमण ने कहा कि हिंसा की तस्वीरें भयावह हैं और सरकार चाहती है कि विश्वविद्यालय सभी छात्रों के लिए एक सुरक्षित स्थान बने। गृह मंत्री और एचआरडी मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस प्रमुख अमूल्य पटनायक से बात की और मंत्रालय ने उनसे रिपोर्ट मांगी है।

आपको बता दे, यह हिंसा तब हुई जब जेएनयू शिक्षक संघ एक बैठक कर रहा था। इतिहास विभाग के एक प्रफेसर आर महालक्ष्मी ने घटना का ब्योरा देते हुए कहा कि हमने टी प्वाइंट पर शाम पांच बजे एक शांति बैठक आयोजित की थी। जैसे ही यह खत्म हुई, बड़ी संख्या में लोग परिसर में दाखिल हुए और उन्होंने शिक्षकों और छात्रों पर मनमाने ढंग से हमला करना शुरू कर दिया।

एक अन्य प्रफेसर प्रदीप शिंदे ने कहा कि हमें इस बात पर आश्चर्य है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग हाथों में रॉड लिए कैंपस में कैसे घुसे। मुझे लगता है कि वे ऐसे राजनीतिक कार्यकर्ता थे जो हमेशा हमें देशद्रोही कहते हैं।

विपक्ष हमलावर

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने हिंसा के लिए ABVP को जिम्मेदार ठहराया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जेएनयू में छात्रों और शिक्षकों पर हमले की निंदा की और इसे लोकतंत्र के लिए शर्मनाक बताया। आपको बता दे, जेएनयू के मुद्दे पर विपक्ष एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमलावर हो गया है। बसपा प्रमुख मायावती ने सोमवार सुबह ट्वीट कर इस घटना की निंदा की, साथ ही लिखा कि इस घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए। मायावती के अलावा कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने भी इस घटना का आरोप ABVP पर लगाया।