जाने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का बंटवारा कैसे होगा?, लगेगा 1 साल

जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा 30 अक्टूबर रात 12 बजे से समाप्त हो गया और इसके साथ ही दो नए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख अस्तित्व में आ गए। संविधान के अनुच्छेद 239ए के तहत जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है। यही अनुच्छेद दिल्ली और पुडुचेरी पर लागू है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी। हालांकि, प्रदेश की पुलिस उपराज्यपाल के अधीन होगी। उपराज्यपाल के जरिए कानून-व्यवस्था का मामला केंद्र सरकार के पास होगा। जबकि, जमीन से जुड़े मामले विधानसभा के पास ही होंगे। वहीं, लद्दाख अनुच्छेद 239 के तहत केंद्र शासित प्रदेश बना है। इसके तहत लद्दाख की न ही कोई विधानसभा होगी और न ही कोई विधान परिषद। यहां उपराज्यपाल ही मुखिया होगा। उपराज्यपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति करते हैं। जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू तो लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को उपराज्यपाल बनाया गया है। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर के संविधान और रणबीर दंड संहिता का गुरुवार से अस्तित्व खत्म हो जाएगा जब राष्ट्र पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाने के लिए ‘राष्ट्रीय एकता दिवस' मनाएगा। पटेल को भारत संघ में 560 से अधिक राज्यों का विलय करने का श्रेय जाता है।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का बंटवारा कैसे होगा?

- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट की धारा 84 और 85 के अनुसार दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे के लिए केंद्र सरकार ने 3 सदस्यों की एक समिति बनाई है। इस समिति के अध्यक्ष पूर्व रक्षा सचिव संजय मित्रा हैं, जबकि रिटायर्ड आईएएस अरुण गोयल और रिटायर्ड आईसीएएस गिरिजा प्रसाद गुप्ता इसके सदस्य हैं। बिल के मुताबिक, यह समिति 6 महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर संपत्ति और देनदारी का बंटवारा होगा। इस प्रक्रिया में 1 साल का वक्त लगेगा।

- सुप्रीम कोर्ट के वकील और संवैधानिक मामलों के जानकार विराग गुप्ता बताते हैं कि मार्च 2017 के आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पुराने राज्य में लगभग 82,000 करोड़ रुपए की संपत्ति थी। इसमें लगभग 30,000 करोड़ की पब्लिक अकाउंट संपत्ति शामिल है, जिसमें प्रॉविडेंट फंड आदि की रकम और लगभग 35,755 करोड़ रुपए की उधारी शामिल थी। इसके पहले भी देश के कई राज्यों में विभाजन हुआ है जिसमें बंटवारे का मौलिक सिद्धांत यह होता है कि संपत्तियों के अनुसार ही लोन और कर्ज का भी बंटवारा हो।

- विराग कहते हैं कि संपत्ति के अलावा राज्य सरकार के कर्मचारियों और इंफ्रास्ट्रक्चर का भी बंटवारा होगा। जम्मू-कश्मीर राज्य की 6 बड़ी संपत्तियां दिल्ली, अमृतसर, चंडीगढ़ और मुंबई में स्थित हैं, जिनका अब दोनों नई यूटी के बीच बंटवारा होगा। संपत्तियों के बंटवारे में लगभग 10,000 सरकारी गाड़ियां, पुलिस के शस्त्र और गोला बारूद जैसी चीजें भी शामिल हैं। इनके अलावा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स विश्वविद्यालय शैक्षणिक संस्थान तथा अनेक अन्य संस्थाओं का भी दोनों ने राज्यों के बीच बटवारा होगा।

- इन सबके अलावा अभी तक जम्मू-कश्मीर को 14वें वित्त आयोग के आधार पर फंड मिलता है। इस फंड को दोनों राज्यों की आबादी और अन्य मानकों के आधार पर बांटा जाएगा। इसके साथ ही लद्दाख के लिए केंद्र सरकार अलग से स्पेशल पैकेज या ग्रांट का ऐलान कर सकती है। इसी तरह से दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के बीच रेवेन्यू का बंटवारा भी आबादी और अन्य जरूरी मानकों के आधार पर किया जाएगा।

बिजली-पानी जैसी जरूरतों का बंटवारा भी समिति करेगी, इसमें 7 महीने लग सकते हैं

आधिकारिक तौर से अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब 90 दिन में एक या उससे ज्यादा एडवाइजरी कमेटी बनाई जाएगी। इनका काम जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के बीच बिजली और पानी की सप्लाई जैसी आम जरूरतों का बराबर बंटवारा करना होगा। ये कमेटी 6 महीने के अंदर उपराज्यपाल को अपनी रिपोर्ट देगी, जिसके बाद 1 महीने के अंदर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर विभाजन होगा। जम्मू कश्मीर में अनेक हाइड्रो और थर्मल पावर प्लांट का बटवारा होगा, जिसके बाद दोनों राज्यों में नई पॉवर कंपनियों का गठन होगा। जम्मू कश्मीर के पुराने राज्य बिजली कानून 2010 की समाप्ति हो गई है और उसकी जगह अब केंद्रीय बिजली कानून लागू होगा। पावर प्लांट्स से राज्य को लगभग 12% की रॉयल्टी मिलती है।

राज्य पुनर्गठन की सबसे बड़ी दलील अमन बहाली दी गई है। केंद्र ने आतंकवाद, अलगाववाद और भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए पुनर्गठन को कारगर फार्मूला करार दिया है। अब देखना होगा कि अशांत रहने वाली घाटी और उसका प्रतीक केंद्र डलझील को स्थायी रूप से सुकून नसीब हो पाता है या नहीं।