चांद के ओर करीब पहुंचा Chandrayaan-2, सफलतापूर्वक दूसरी कक्षा में लिया प्रवेश, 7 दिनों तक इसी में लगाएगा चक्कर

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) Chandrayaan-2 को लेकर एक ओर सफलता हाथ लगी है। चंद्रयान-2 ने (Chandrayaan 2) चांद की दूसरी कक्षा (Orbit) में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया है। इसरो वैज्ञानिक दोपहर 12:30 से 01:30 बजे के बीच चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा LBN-2 में डाला। खास बात यह है कि चंद्रयान-2 अब इसी कक्षा में अगले सात दिनों तक चांद का चक्कर लगाएगा। ये चक्कर 118 किलोमिटर की एपीजी और 4,412 किलोमिटर की पोरीजी वाली अंडाकार कक्षा में लगाएगा। इसरो के वैज्ञानिकों के द्वारा 28 अगस्त को इसे चांद की तीसरी कक्षा में शिफ्ट किया जाएगा।

इसरो वैज्ञानिकों ने 20 अगस्त यानी मंगलवार को चंद्रयान-2 को चांद की पहली कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचाया था। इसरो वैज्ञानिकों ने मंगलवार को चंद्रयान की गति को 10.98 किमी प्रति सेकंड से घटाकर करीब 1.98 किमी प्रति सेकंड किया था। चंद्रयान-2 की गति में 90 फीसदी की कमी की गई थी ताकि वह चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर चांद से न टकरा जाए। 20 अगस्त यानी मंगलवार को चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 का प्रवेश कराना इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था। लेकिन, हमारे वैज्ञानिकों ने इसे बेहद कुशलता और सटीकता के साथ पूरा किया। इससे पहले इसरो के चेयरमैन डॉ। के. सिवन ने बताया था कि चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति 65000 किमी तक रहता है। ऐसे में चंद्रयान-2 की गति को कम करना पड़ेगा। नहीं तो, चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर वह उससे टकरा भी सकता है।

चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद 31 अगस्त तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाता रहेगा। इस दौरान एक बार फिर कक्षा में बदलाव किया जाएगा। चंद्रयान-2 को चांद की सबसे करीबी कक्षा तक पहुंचाने के लिए चार बार कक्षा बदली जाएगी, जिसके बाद यह चांद की अंतिम कक्षा में दक्षिणी ध्रुव पर करीब 100 किमी ऊपर से गुजरेगा। इसी दौरान यानी 2 सितंबर को यान का विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। विक्रम चार दिन तक 30 गुणा 100 किमी के दायरे में चांद का चक्कर लगाएगा। इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव में सतह पर 7 सितंबर को अपना कदम रखेगा। इस ऐतिहासिक पल के गवाह खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनेंगे। बताया जा रहा है कि चंद्रयान-2 की लैंडिंग देखने के लिए पीएम मोदी ISRO जा सकते हैं।

लैंडिंग के अंतिम 15 मिनट जब थम जाएंगी धड़कनें

इस मिशन के सबसे तनावपूर्ण क्षण चांद पर विक्रम की लैंडिंग से पहले के 15 मिनट होंगे। यानी 7 सितंबर की रात 1 बजकर 55 मिनट से पहले तनाव अपने चरम पर होगा। खुद भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चीफ के सिवन ने कहा है 'लैंडिंग के अंतिम 15 मिनट बेहद चुनौतीपूर्ण रहेंगे क्योंकि उस दौरान हम ऐसा कुछ करेंगे जिसे हमने अभी तक कभी नहीं किया है।'

सिवन ने कहा, 'चंद्रमा की सतह से 30 किलोमीटर दूर चंद्रयान-2 की लैंडिंग के लिए इसकी स्पीड कम की जाएगी। विक्रम को चांद की सतह पर उतारने का काम काफी मुश्किल होगा। इस दौरान का 15 मिनट काफी चुनौतीपूर्ण होने वाला है। हम पहली बार सॉफ्ट लैंडिंग की करेंगे। यह तनाव का क्षण केवल इसरो ही नहीं बल्कि सभी भारतीयों के लिए होगा।'

सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिलते ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन के पास ही यह विशेषज्ञता है।