45 मेडिकल एक्सपर्ट्स का दावा- सेफ है कोरोना वैक्सीन, वैज्ञानिकों पर भरोसा करें

कोरोना महामारी के खिलाफ भारत में आज शनिवार से दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत होने वाली है। आज सुबह 10:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसका शुभारंभ करेंगे। पहले चरण में तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन दी जाएगी। पहले चरण में एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) के कार्यकर्ता सहित सरकारी और निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य कर्मचारियों को टीका लगेगा। केंद्र ने टीकाकरण अभियान के पहले दिन 2,934 सत्र स्थलों पर लगभग 3 लाख स्वास्थ्यकर्मचारियों का टीकाकरण करने की योजना बनाई है। नियमित रूप से टीकाकरण कार्यक्रमों के लिए निर्धारित दिनों को छोड़कर यह अभियान प्रतिदिन सुबह 9 से शाम 5 बजे तक आयोजित किया जाएगा।

3 जनवरी को मिली केंद्र की मंजूरी

आपको बता दे, कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को 3 जनवरी को केंद्र ने इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। भारत में इसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बना रही है। कोवैक्सिन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक बना रही है। इसे उसने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी (NIV) के साथ मिलकर विकसित किया है। कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी है।

दोनों वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद से ही इनकी इफेक्टिवनेस पर सवाल उठ रहे है। कुछ वैक्सीन विशेषज्ञों और राजनेताओं ने कोवैक्सिन को इमरजेंसी अप्रूवल देने का विरोध किया था। कोवैक्सिन के फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल्स के लिए पूरे देश में 25 साइट्स पर 25,800 वॉलंटियर्स को एनरोल किया गया है। पर इसकी एफिकेसी के नतीजे सामने नहीं आए हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि वैक्सीन को अप्रूवल नहीं दिया जाना चाहिए था।

45 विशेषज्ञों ने कही ये बात

इन्हीं संदेहों का जवाब एम्स के पूर्व डायरेक्टर्स समेत 45 विशेषज्ञों के ग्रुप ने दिया है। इस ग्रुप का दावा है कि भारत में बनी वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित हैं। ग्रुप ने यह भी कहा कि जो लोग इनकी आलोचना कर रहे हैं, वे भारतीय वैज्ञानिक बिरादरी की विश्वसनीयता पर संकट खड़ा कर रहे हैं।

45 मेडिकल प्रोफेशनल्स और साइंटिस्ट के साइन के साथ बयान जारी हुआ है। इसमें कहा गया है कि कुछ लोग गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। यह राजनीति और स्वार्थ से प्रेरित हैं। इनकी आलोचना की वजह से दुनियाभर में अपनी काबिलियत का डंका बजाने वाली भारतीय वैज्ञानिक बिरादरी पर विश्वसनीयता का संकट खड़ा हो रहा है। आरोप लगाने वालों को पता होना चाहिए कि भारतीय वैज्ञानिकों ने अपना जीवन खपा दिया और देश को सबसे बड़ा वैक्सीन सप्लायर बनाया है। आज भारत से 188 देशों में वैक्सीन जाती है। 2019 में भारतीय वैक्सीन मार्केट 94 अरब रुपए का था। भविष्य में यह और भी बढ़ सकता है।

इस बयान पर साइन करने वालों में एम्स के पूर्व डायरेक्टर टीडी डोगरा और एमसी मिश्रा के साथ ही CSIR-IICT हैदराबाद के पूर्व चीफ साइंटिस्ट ए. गंगाग्नी राव और मणिपाल एजुकेशन एंड मेडिकल ग्रुप के बोर्ड चेयरमैन डॉ. रंजन पई भी शामिल हैं। उनका कहना है कि यह वैक्सीन मानवता के लिए गिफ्ट है।

सरकार और उसके अधिकारी बार-बार कह रहे हैं कि उन्होंने अब तक हुए ट्रायल्स के डेटा की अच्छी तरह पड़ताल करने के बाद ही दोनों वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दिया है। इस वजह से घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शुक्रवार को देश के टीकाकरण अभियान को 'कोरोना के अंत की शुरुआत' बताया। उन्होंने लोगों से स्वदेशी वैक्सीन पर भरोसा करने का भी आग्रह किया और कहा कि सरकार ने उचित वैज्ञानिक जांच के बाद आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी है।

टीकाकरण अभियान शुरू करने से पहले इसकी तैयारियों का जायजा लेने के लिए पूरे देश में ड्राई रन का आयोजन हुआ। कोरोना महामारी और वैक्सीनेशन से जुड़ी जानकारी के लिए सरकार ने 24x7 कॉल सेंटर बनाया है। 1075 पर कॉल करके आप कोई भी जानकारी ले सकते हैं।