राजस्थान : मंत्रियों की शिकायत पर हुआ अफसरों के भ्रष्टाचार का खुलासा, लोहे की जगह बिछा दिए प्लास्टिक पाइप

राजस्थान में एक बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है जिसमें मंत्रियों ने ही अफसरों की शिकायत की हैं। कोटा, झालावाड़ और बारां जिले के 637 से अधिक गांवों तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के लिए शुरू की गई परवन सिंचाई परियोजना में लोहे की जगह प्लास्टिक पाइप बिछा दिए गए। जल संसाधन विभाग के अफसरों ने परियोजना में डीपीआर बदलकर 700 करोड़ की गड़बड़ी कर दी। इसकी शिकायत खुद खान मंत्री प्रमोद जैन भाया और कांग्रेस के ही दो विधायकों पाना चंद मेघवाल और निर्मला सहरिया ने सीएम अशोक गहलोत से की। खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि सेट्रल वाटर कमिशन ने जो डिजाइन अनुमोदित किया था, उसे अफसरों ने बदल दिया। इससे 700 करोड़ तक घोटाले की आशंका है। मैंने और दो विधायकों ने सीएम से मिलकर शिकायत की थी। हमारी शिकायत सही पाई गई। यदि एक्शन नहीं होता तो यह प्राेजेक्ट बर्बाद हो जाता।

शिकायत के बाद सीएम ने तुरंत प्रभाव से जल संसाधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव नवीन महाजन को 18 सितंबर को ही हटाकर अजमेर रवाना कर दिया था। अब शिकायत के आधार पर ही गुरुवार को जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता राजीव चौधरी, अधीक्षण अभियंता कृष्ण मोहन जायसवाल और अधिशाषी अभियंता शिव शंकर मित्तल को निलंबित कर दिया है।

परवन परियोजना के तहत परवन नदी पर बांध और 8.7 किमी लंबी टनल बनाई जानी है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 7000 हजार करोड़ रुपए खर्च हाेने थे। डीपीआर के अनुसार, बांध क्षेत्र में लोहे की पाइप लाइन बिछाई जानी थी। अफसरों ने इसे बदलकर पीबीसी यानी प्लास्टिक की पाइप लाइन बिछा दी। यही नहीं डीपीआर में पाइप की जो चौड़ाई तय थी, उसे कम करके बिछाया जा रहा है। भाया की शिकायत के बाद भी ग्राउंड पर 250 करोड़ की पाइप लाइन बिछाई गई।

बताया जा रहा है कि पहले तो डिजाइन में फेरबदल कर खराब पाइप लगाए। इसके बाद भुगतान में भी गड़बड़ी की गई। जिन दरों पर पाइप लाइन का भुगतान परियोजना में किया जा रहा है, वह जलदाय विभाग की 2020 की बीएसआर से भी लगभग दोगुनी है। इससे 600 करोड़ की बजाय कंपनी को 1200 करोड़ का भुगतान करना पड़ेगा। 350 करोड़ के भुगतान में से 150 करोड़ का ज्यादा भुगतान कंपनी को हो चुका है। खराब पाइप लगाने से दस साल बाद ही प्रोजेक्ट बेकार हो जाएगा।