भारतियों के लिए कनाडा जाना बन रहा बड़ी आफत, लाखों में पड़ रही आरटीपीसीआर जांच

कोरोना का कहर जारी है जिसमें कई भारत से कई देशों की यात्रा पर प्रतिबंध लगा हुआ हैं। कनाडा ने भी कोरोना की दूसरी लहर के चलते भारत से आने वाली सीधी उड़ानों पर पाबंदी लगा रखी है। इसके चलते भारतियों को कनाडा जाने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही हैं। आज इस कड़ी में हम 19 वर्षीय लेरिना कुमार की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने भारत से कनाडा जाने के लिए पहले उसने भारत से दुबई जाने वाली उड़ान पकड़ी। वहां से बार्सिलोना जाने वाले विमान में सवार होने के लिए नौ घंटे तक इंतजार किया। बार्सिलोना से मेक्सिको पहुंची और आरटीपीसीआर जांच के लिए उसे वहां दो दिन ठहरना पड़ा। इसके बाद जाकर वह कनाडा के वेंकुवर पहुंची। लेरिना कुमार को अपने इस सफर पर 5 लाख रुपये से अधिक खर्च करने पड़े जबकि सामान्य हालात में यह खर्चा 1।50 लाख से भी कम होता। वह यहां पर एक विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही हैं।

चार देशों की यात्रा उसके पर्यटन कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था। यह उसके लिए मजबूरी थी क्योंकि कनाडा, भारत में हुई आरटीपीसीआर जांच को स्वीकार नहीं कर रहा है। ऐसे में कनाडा जाने वाले भारतीयों खासकर वहां के विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले छात्रों को तीसरे देश से आरटीपीसीआर जांच की निगेटिव रिपोर्ट लेकर जाना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, यह तीसरा देश कनाडा की स्वीकृत सूची में भी शामिल होना जरूरी है। छात्र और अभिभावक लगातार मांग कर रहे हैं कि भारत को अपनी आरटीपीसीआर रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किए जाने का मसला कनाडा के साथ उठाना चाहिए। इन लोगों का कहना है कि मौजूदा प्रक्रिया न केवल बहुत असुविधाजनक है बल्कि काफी महंगी भी पड़ रही है।

उनकी मां लवली कुमार ने कहा कि उनकी योजना बेटी के साथ वहां जाकर उसके रहने की व्यवस्था करने की थी लेकिन कोरोना महामारी के चलते यह संभव नहीं हो सका। उनकी बेटी को न केवल अकेले पहली बार, वह भी चार देशों की यात्रा करनी पड़ी। लेरिना कनाडा में एमिली कैर यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट एंड डिजाइन में दूसरे वर्ष की स्नातक की छात्रा हैं। उन्होंने पिछले साल दाखिला लिया था लेकिन अभी वह महामारी के कारण केवल ऑनलाइन कक्षाएं ले रही थीं।