इसरो ने लॉन्च किया भारत द्वारा बनाया गया 33वां संचार उपग्रह GSAT-29, देखें वीडियो

अंतरिक्ष में लगातार नई उपलब्धियां हासिल कर रहे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के हिस्से में बुधवार को एक और उपलब्धि जुड़ गई। इसरो ने बुधवार को संचार उपग्रह GSAT-29 को लॉन्च किया। इस उपग्रह को बुधवार शाम 5 बजकर 8 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर ( Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota ) से लॉन्च किया गया। इसको लेकर मंगलवार दोपहर 2.50 बजे काउंटडाउन शुरू हो गया था। सेटेलाइन को 5.08 बजे लॉन्च किया गया। यह श्रीहरिकोटा से लॉन्च किए जाने वाला 76वां और भारत द्वारा बनाया गया 33वां संचार सेटेलाइट है।

इसरो (ISRO) के चेयरमैन के. सिवान का कहना है कि इस संचार उपग्रह का वजन 3,423 किलोग्राम है। जीसैट-29 उपग्रह उच्च क्षमता वाले कू-बैंड के ट्रांसपोंडरों से लैस है। इस उपग्रह पर यूनिक किस्म का 'हाई रेज्यूलेशन' कैमरा लगा है, जिसे 'जियो आई' नाम दिया गया है। इससे हिंद महासागर में दुश्मनों के जहाजों पर नजर रखी जा सकेगी। जियो-सिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (GSLV Mk-III) का वजन 641 टन है, जो पूरे तरह भरे हुए पांच यात्री विमानों के बराबर है। 43 मीटर की ऊंचाई वाला यह रॉकेट 13 मंज़िल की इमारत से ज्यादा ऊंचा है। दिलचस्प तथ्य यह है कि 'बाहुबली' भारत के सभी ऑपरेशनल लॉन्च व्हीकलों में सबसे भारी है, लेकिन आकार में सबसे छोटा भी है।

इस नए रॉकेट को तैयार करने में 15 साल का वक्त लगा है, और हर लॉन्च की अनुमानित लागत 300 करोड़ रुपये से ज्यादा रहेगी।

जम्मू-कश्मीर और उत्तर पूर्वी राज्यों में बेहतर होंगी संचार सुविधाएं

यह एक हाईथ्रोपुट संचार उपग्रह है। इसे जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि इससे इन राज्यों में संचार सुविधाएं बेहतर होंगी और इससे इंटरनेट की स्पीड भी बढ़ जाएगी।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष के। सीवन ने बताया, "अगर यह लॉन्च कामयाब रहता है, तो भारत के इस 'बाहुबली', यानी GSLV Mk-III को ऑपरेशनल घोषित कर दिया जाएगा..." इसके बाद GSLV Mk-III को ही अगले साल की शुरुआत में भारत के चंद्रयान-2 तथा वर्ष 2022 से पहले 'गगनयान' को लॉन्च करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

GSLV Mk-III में भारतीय क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया है, जिसे भारत में ही तैयार किया गया है, और यह प्रोपेलैन्ट के तौर पर तरल ऑक्सीजन तथा तरल हाइड्रोजन का इस्तेमाल करता है। यह रॉकेट 4-टन क्लास के संचार उपग्रहों को लॉन्च करने में सक्षम है, जिससे भारत 'बिग ब्वॉयज़ स्पेस क्लब', यानी अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़े माने जाने वाले मुल्कों की कतार में शामिल हो जाएगा।