चार दिन बंद रहेंगे बैंक इस तारीख से पहले निपटा ले सारें काम

बैंकों के लिए मार्च का महीना डेडलाइंस पूरा करने का होता है। इस वित्त वर्ष बैंककर्मियों के ऊपर जीएसटी से जुड़े कामकाज निपटाने का अतिरिक्त बोझ भी है। वही आम जनता के लिए बैंक से जुड़े काम निपटाने के लिए मार्च के अंतिम दिनों का इंतजार करना भारी पड़ सकता है। सबसे ज्यादा चुनोती कारोबारियों के लिए होने वाली है क्यूंकि मार्च के अंत में लगातार चार दिनों तक बैंकों की बंदी के रूप में भी पेश आ रही है। इन चार दिनों में यानि 29 मार्च से 1 अप्रैल तक बैंकों में न तो ड्राफ्ट बनेंगे और न चेक क्लियरेंस होगा।

बैंक बंद रहेंगे

29 मार्च को महावीर जयंती, 30 को गुड फ्राइडे, 31 मार्च को अंतिम शनिवार और 1 अप्रैल को रविवार के चलते बैंक बंद रहेंगे।

28 मार्च से पहले ही निपटा ले

महीने के अंत में कई तरह के कर अनुपालन, लोन रिपेमेंट और बीमा प्रीमियम के लिए भी बैंकों से तरह-तरह के सर्टिफिकेट और एनओसी लेने होते हैं, ऐसे सभी काम कारोबारियों को 28 मार्च से पहले ही निपटा लेने होंगे। कई बैंकों अपने की कस्टमर्स को इस बारे में पहले से अवगत भी करा रहे हैं। अगला एक पखवाड़ा ट्रेड-इंडस्ट्री के लिए कारोबार और टैक्स कंप्लायंस से जुड़े के कामों की डेडलाइंस से भरा है। इससे कई तरह के बैंकिंग और विभागीय काम जल्द निपटाने की होड़ मच गई है। पहले ही जीएसटी से जुड़ी कई फाइलिंग लंबित चल रही हैं, ऊपर से इनकम टैक्स रिवीजन की डेडलाइन आ जाने से भी कारोबारियों में अफरातफरी मची है।

20 मार्च तक जीएसटी फाइलिंग

कारोबारियों को फरवरी के GSTR-3B, GSTR-5 और GSTR-5A की फाइलिंग 20 मार्च तक करनी है। इसके अलावा जुलाई से फरवरी का GSTR-6 भी भरना है। सबसे अहम डेडलाइन 31 मार्च तक TRAN-2 भरने की है, जिसे न तो दोबारा भरा जा सकता है और न ही इसे रिवाइज करने की अब और मोहलत मिलेगी। यह उन करोबारियों को भरना है, जिनके पास जीएसटी लागू होने से पहले का स्टॉक था और उस पर चुकाए टैक्स का बिल नहीं था। इसके अलावा जीएसटी लागू होने से पहले के गैर-पंजीकृत कारोबारियों को भी यह फॉर्म भरना है। पहले इसकी डेट 31 दिसंबर थी, लेकिन बड़ी मुश्किल से सरकार ने एक और मौका दिया है।

31 मार्च तक ही असेसमेंट ईयर 2016-17 और 2017-18 की इनकम टैक्स रिटर्न की लेट फाइलिंग हो सकती है। साथ ही रिटर्न रिवाइज करने के लिए भी अब कारोबारियों के पास 15 दिन का समय बचा है। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का कहना है कि उनके यहां दोनों ही तरह के करों के रिटर्न के लिए टैक्सपेयर्स की ओर से जबर्दस्त दबाव आ रहा है।