पाकिस्तान में बुधवार को करतारपुर साहिब कॉरिडोर की आधारशिला रखी गई। भारत की ओर गलियारे के लिए सोमवार को उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आधारशिला रखी थी। इस दौरान भारत की ओर से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, हरसिमरत कौर और नवजोत सिंह सिद्धू मौजूद थे। माना जाता है कि करतारपुर में ही सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने अंतिम सांस ली थी। करतारपुर साहिब पाकिस्तान में रावी नदी के पार स्थित है और डेरा बाबा नानक से करीब चार किलोमीटर दूर है। सिख गुरु ने 1522 में इस गुरुद्वारे की स्थापना की थी। करतारपुर गलियारे से भारतीय सिख श्रद्धालु करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब तक वीजा रहित यात्रा कर सकेंगे। इस गलियारे के छह महीने के भीतर बनकर तैयार होने की उम्मीद है। सिख समुदाय की 70 सालों से चली आ रही मांग अंजाम पर पंहुची, लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भाषण पर भारत ने सवाल खड़े किए हैं। भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि यह बहुत खेद की बात है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने करतारपुर कॉरिडोर विकसित करने की सिख समुदाय की अरसे से लंबित मांग को पूरा करने के पवित्र मौक़े पर जम्मू-कश्मीर की अवांछित चर्चा की जो भारत का अखंड और अटूट हिस्सा है।
पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि वह अपनी अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही पूरी करे और अपनी ज़मीन से सीमा पार आतंकवाद को हर तरह का समर्थन और पनाह देने से बचने की भरोसेमंद कार्रवाई करे। बता दें कि इमरान खान ने करतारपुर कॉरिडोर का शिलान्यास करने के बाद कहा कि दोनों देशों के बीच सिर्फ कश्मीर ही एक मात्र मुद्दा है। इसके लिए सिर्फ दो सक्षम नेताओं के बैठने की जरूरत है, जो साथ बैठकर इसे सुलझा सकते हैं। कौन सा मसला है जो इन्सान हल नहीं कर सकता। क्या हम एक मसला अपना हल नहीं कर सकते। जरा सोचिए अगर हम ऐसा कर सके तो हमारे संबंध और मजबूत हो जाएंगे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सिख समुदाय को गुरु नानक देव की 550वीं जयंती समारोह में करतारपुर में बेहतर सुविधाएं मिलने का आश्वासन दिया।
करतारपुर में आयोजित समारोह में इमरान ख़ान ने कहा कि इरादा हो तो हर मसला सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों ऐटमी मुल्क हैं इसलिए जंग नहीं हो सकती। इमरान ने कहा दुशमन रहे जब फ्रांस और जर्मनी साथ आ सकते हैं तो हम क्यों नहीं?
गुरुनानक देव ने 18 साल यहीं बिताए
- करतारपुर साहिब सबसे पवित्र स्थलों में एक
- करतारपुर साहिब को पहला गुरुद्वारा माना जाता है
- गुरुनानक ने जीवन के आख़िरी 18 साल यहीं बिताए
- 1539 में गुरुनानक देव ने यहीं आख़िरी सांस ली
- पाकिस्तान के नारोवाल ज़िले में है गुरुद्वारा
- भारत की सीमा से सिर्फ़ 3 किलोमीटर दूर
- रावी नदी के किनारे बसा है करतारपुर साहिब
- सिख श्रद्धालु अभी दूरबीन से करते हैं दर्शन
- 3 किमी का होगा कॉरिडोर, भारत सरकार देगी फ़ंड
- कॉरिडोर से बिना वीज़ा करतापुर साहिब की यात्रा