आतंक पर पाकिस्‍तान के चेहरे पर न झेंप और न माथे पर शिकन : सुषमा स्‍वराज, पढ़ें खास बातें

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में शनिवार को अपने भाषण में आतंकवाद पर पाकिस्‍तान को जमकर घेरा। आतंकवाद पर सख्त रुख दिखाते हुए स्वराज ने सीधे-सीधे पाकिस्तान का नाम लेते हुए कहा कि आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान स्पष्ट तौर पर जिम्मेदार है। साथ ही सुधार की जरूरत को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र को चेताया। सुषमा ने स्‍पष्‍ट और कड़े शब्‍दों में कहा कि पाकिस्‍तान न केवल आतंक को पालता है, बल्कि उसे नकारने में भी माहिर है। उन्‍होंने बातचीत रोकने के पाकिस्तान के आरोप को पूरी तरह से झूठ बताते हुए विश्व के नेताओं से सवाल किया कि ‘हत्यारों को महिमामंडित' करने वाले देश के साथ 'आतंकी रक्तपात' के बीच कैसे बातचीत की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही पाकिस्तान की हरकतों पर रोक नहीं लगाई गई तो वहां से उठ रही आतंकवाद की आग में पूरी दुनिया जलेगी।

वहीं चेतावनी दी कि मूलभूत सुधारों के अभाव में संयुक्त राष्ट्र के अप्रासंगिक हो जाने का खतरा है और कहा कि अगर यह विश्व निकाय अप्रभावी रहा तो बहुपक्षवाद खत्म हो जाएगा। यहां पढ़िए उनके भाषण की बड़ी बातें...

- सुषमा स्‍वराज ने कहा कि हमारे मामले में आतंक कहीं दूर से नहीं बल्कि सीमापार से है। हमारा पड़ोसी आतंक फैलाने के साथ ही उसे छुपा भी लेता है। आतंक पर पाकिस्‍तान के चेहरे पर न झेंप और न माथे पर शिकन।

- उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का यह ढोंग है कि वह आतंक की खिलाफत करता है। असल में पाकिस्तान आतंकवादियों का समर्थक है।

- भारत हो या अमेरिका दोनों आतंक की आग से जूझ रहे हैं। और यह साफ हो चुका है कि दोनों देशों की इस स्थिति के लिए पाकिस्तान ही जिम्मेदार है।

- सुषमा स्वराज ने कहा कि पाकिस्तान विश्व भर में बढ़ते आतंकवाद को लेकर सीधे तौर पर जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही पाकिस्तान की हरकतों पर रोक नहीं लगाई गई तो पूरी दुनिया आतंकवाद की आग में जलेगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों को संरक्षण देने का काम करता है।

- आतंकवादियों से ज्यादा मानव अधिकारों का उल्लंघन करने वाला कौन हो सकता है? पाकिस्तान हत्यारों का महिमामंडन करता है और उसे निर्दोषों का खून नहीं दिखता।

- पाकिस्तान की यह आदत हो गई है कि वह अपने दोषों को ढंकने के लिए भारत के खिलाफ छल का आरोप लगाता है।

- पिछले साल पाकिस्‍तान के प्रतिनिधियों ने राइट टू रिप्‍लाई का उपयोग करते हुए भारत के मानवाधिकार उल्‍लंघन पर कुछ तस्‍वीरें दिखाई थी। वे तस्‍वीरें किसी और देश की थी। इसी तरह के झूठे आरोप वह कई बार लगा चुका है।

- पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने दो जनवरी को पठानकोट में हमारे वायु सेना अड्डे पर हमला किया। कृपया मुझे बताएं कि आतंकवादी रक्तपात के बीच हम कैसे वार्ता कर सकते हैं।

- जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद से विश्व को सबसे बड़ी चुनौती

- जहां तक भारत की बात है तो आतंकवाद कहीं दूर देश में नहीं, बल्कि सीमा पार से पनपा है

- हमें आतंकवाद की एक परिभाषा पर अब अवश्य सहमत होना होगा या बाद में इस आग से जूझना होगा।

- पाकिस्तान हमेशा से आतंकियों की तरफदारी करता रहा है। आतंकियों को उनके मंसूबों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान उनकी सभी जरूरतें पूरी करता है। उन्होंने कहा यदि पाकिस्तान आतंकवादियों का समर्थन नहीं करता तो इतने आतंकी संगठन वहां पैदा कैसे हो रहे हैं। उन्होंने कहा पाकिस्तानी सरकार हमेशा आतंकवादियों की पक्षधर रही है।

- सीमा पर जवानों के साथ बर्बरता और शांति की पहल एक साथ नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि भारत सदैव से ही शांति में यकीन करता रहा है। भारत का पक्ष रहा है कि बातचीत से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है, लेकिन आतंकवाद और शांतिवार्ता एक साथ नहीं हो सकती।

- स्वराज ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद और आतंकवादियों को किस तरह से संरक्षण दे रहा है इसका पता इसी बात से चल जाता है कि हाफिज सईद जैसे आतंकी पाकिस्तान में स्वतंत्र घूम रहे हैं। बिना सरकारी संरक्षण के किसी भी देश में ऐसा संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हाफिज के अलावा ओसामा जैसे आतंकवादियों को पाकिस्तान की जमीन पर संरक्षण मिलता रहा है।

- पाकिस्तान की हरकतें ज्यादा दिन तक उसकी असलियत और नापाक इरादे छिपा नहीं सकती हैं। आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान का नर्म रुख ही उसके चेहरे से नकाब उतारेगा।

- पाकिस्तान भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाता रहा है। लेकिन सबसे ज्यादा मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला देश खुद पाकिस्तान ही है। चेतावनी के बावजूद पाकिस्तानी सेना बॉर्डर पर घुसपैठ, सीमा विराम का उल्लंघन जैसी हरकतों को अंजाम देती रही है। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने से पहले पाकिस्तान पहले खुद अपने गिरेबान में झांक कर देखे।

- संयुक्त राष्ट्र को यह अवश्य स्वीकार करना चाहिए कि उसे मौलिक सुधार की जरूरत है। सुधार सिर्फ दिखावे के लिए नहीं होना चाहिए। हमें संस्थान के दिलो-दिमाग में बदलाव करने की जरूरत है जिससे यह समसामयिक वास्तविकता के अनुकूल हो जाए। सुधार आज से ही शुरू होने चाहिए क्योंकि कल बहुत देर हो सकती है।

- भारत वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास रखता है और इसका सबसे अच्छा तरीका साझा बातचीत है... संयुक्त राष्ट्र को परिवार के सिद्धांतों के आधार पर काम करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र ‘मैं’ से नहीं चल सकता और यह सिर्फ ‘हम’ से चल सकता है।

- उन्होंने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि बिना किसी भेदभाव के आतंकवाद को उसके सभी रूपों में और उसकी मदद करने वाले तंत्रों को खत्म किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए विश्व के सभी देशों को साथ में आना पड़ेगा और सख्त निर्णय लेने होंगे।

- भारत इस बात में विश्वास नहीं रखता कि संयुक्त राष्ट्र कई लोगों की कीमत पर महज कुछ लोगों की सुविधा का साधन बने।