कश्मीर विवाद में ट्रंप की मध्यस्थता के प्रस्ताव पर भारत की प्रतिक्रिया से हैरान हूं : इमरान

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पहल का स्वागत किया है। इस पूरे मामले में भारत द्वारा दी गई प्रतिक्रिया पर हैरानी जताते हुए इमरान खान ने कहा कि कश्मीर विवाद को हल करने के लिए भारत और पाक के बीच वार्ता के लिए ट्रंप को मध्यस्थता करने की पेशकश पर भारत की प्रतिक्रिया से हैरान हूं। कश्मीर विवाद ने पिछले 70 साल से इस क्षेत्र को बंधक के जैसा बना दिया है। कश्मीरियों को रोज नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस संघर्ष के समाधान की बहुत जरूरत है।

उन्होंने कहा, 'मैं राष्ट्रपति ट्रंप को उनकी सानदार मेहमान नवाजी के लिए शुक्रिया कहना चाहता हूं, पाकिस्तान के दृष्टिकोण को लेकर उनकी समझ और हमारे पूरे प्रतिनिधिमंडल के साथ उनका व्यवहार शानदार था। हमें एतिहासिक व्हाइट हाउस के निजी क्वार्टर्स दिखाने के लिए मैं राष्ट्रपति की सराहना करता हूं।'

इमरान खान ने कहा, 'मैं राष्ट्रपति ट्रंप को आश्वस्त करना चाहता हूं कि अफगानिस्तान में शांति बहाल करने लिए पाकिस्तान हर संभव प्रयास करेगा। चार दशकों के संघर्ष के बाद लंबे समय से पीड़ित अफगानी शांति के हकदार हैं।'

दूसरी ओर कश्मीर पर भारत की नीति साफ है। भारत किसी भी तीसरे देश की मध्यस्थता नहीं चाहता है। जम्मू-कश्मीर को भारत हमेशा से अपना अभिन्न हिस्सा मानता रहा है। ट्रम्प ने दावा किया था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में मदद मांगी थी। इस बायान के तत्काल बाद विदेश मंत्रालय ने साफ किया था कि पीएम मोदी ने ट्रम्प से ऐसा कुछ नहीं कहा है। विदेश मंत्री ने कहा, 'मैं सप्ष्ट तौर पर सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मोदी ने कभी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मध्यस्थता के लिए नहीं कहा। कश्मीर भारत-पाक का द्विपक्षीय मुद्दा है। इसे दोनों देश मिलकर सुलझाएंगे। पाकिस्तान पहले आतंकवाद पर लगाम लगाए। कश्मीर मसले पर शिमला और लाहौर संधि के जरिए ही आगे बढ़ेंगे।' विदेश मंत्री बोले कि भारत लगातार कहता रहा है कि पाकिस्तान के साथ जो भी बातें होनी हैं वह सिर्फ द्विपक्षीय मुद्दा हैं। पाकिस्तान से किसी भी तरह के मसले पर तभी बात हो सकती है, जब वह आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करेगा। मैं कहना चाहूंगा कि शिमला और लाहौर समझौते के तहत ये तय हुआ था कि पाकिस्तान के साथ हर मुद्दा द्विपक्षीय ही सुलझ सकता है। इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भी रवीश कुमार ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान का खंडन किया था। उन्होंने भी कहा कि पीएम मोदी की ओर ऐसी कोई भी मांग नहीं की गई।