अगर भारत-पाक के बीच हुआ परमाणु युद्ध तो मारे जाएंगे 10 करोड़ लोग: रिपोर्ट

केंद्र सरकार द्वारा 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 (Article 370) को हटाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया है। इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) और उनके कई मंत्री भारत को परमाणु हमले की धमकी दे रहे है। हालाकि, पाकिस्तान की इन गीदड़भभकी का भारत पर कोई असर नहीं हो रहा है। भारत का कहना है कि अगर पाकिस्तान ने कोई ऐसा कोई कदम उठाया तो इसका खामियाजा उसको उठाना पड़ेगा। वही दोनों देशों के बीच तनाव के चलते अमेरिका (America) की एक रिपोर्ट (Report) ने काफी चौकाने वाले आंकड़े पेश किए है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध होता है तो 10 करोड़ से अधिक लोग मारे जाएंगे।

'साइंस एडवांस' में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच अगर परमाणु युद्ध की स्थिति बनती है, तो दोनों ही देशों को काफी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। युद्ध के दौरन तो लोग मारे ही जायेंगे लेकिन उसके बाद भी लाखों लोग मारे जाते रहेंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध की स्थिति में पृथ्वी पर पहुंचने वाली सूरज की रोशनी की मात्रा में काफी कमी आ जाएगी, जिसकी वजह से बारिश में भी गिरावट आएगी। इन सबका सीधा असर जमीन पर पड़ेगा और खेती तबाह हो जाएगी और महासागरीय उत्पादकता में भयानक गिरावट आएगी।

इस समय भारत और पाकिस्तान के पास 400-500 परमाणु हथियार मौजूद हैं। अगर इन हथियारों का इस्तेमाल युद्ध में होता है तो इसका प्रभाव वैश्विक पर्यावरण के लिए विनाशकारी होगा। रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया पर परमाणु युद्ध का प्रभाव तीन तरह से होगा। वही इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध होता है तो जिस तरह के परिणाम होंगे, उससे उबरने में दुनिया को 10 साल से ज्यादा का समय लगेगा।

- अगर भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध की स्थति बनती है तो विस्फोटो से निकलने वाला धुआं 16 से 36 मिलियन टन काला कार्बन छोड़ सकता है। ऐसी स्तिथि में कार्बन की तीव्रता इतनी तेज होगी कि कुछ ही हफ्तों में पूरी दुनिया इसके प्रकोप में आ जायेगी। ऐसी स्थिति में उन देशों को भी नुकसान होगा जिनका इस युद्ध से कोई लेना-देना नहीं है।

- परमाणु विस्फोट के बाद वायुमंडल में कार्बन भारी मात्रा में सोलर रेडिएशन को इकट्ठा कर लेगी। इससे हवा में अधिक गर्मी आ जाएगी और धुंआ आगे नहीं निकल पाएगा। इसके परिणाम ये होगा कि पृथ्वी तक पहुंचने वाली धूप में 20 से 35 प्रतिशत की गिरावट आएगी। इसके कारण बारिश में कम होगी।

- वायुमंडल में कार्बन की मात्रा बढ़ जाने के कारण सूरज की रोशनी जमीन तक नहीं पहुंचेगी और बारिश भी न के बराबर होगी। ऐसे में गर्मी की तपिश से जमीन सूख जाएगी और खेती पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी। इस वजह से वनस्पति विकास और महासागर उत्पादकता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।