कारगिल विजय दिवस : आखिर कैसे इजराइल की मदद से मिली थी इस जंग में कामयाबी

साल 1999 में हुए भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध को इस साल 21 साल हो जाएंगे। यह युद्ध पकिस्तान की धोखाधडी और दोगलेपन की कहानी को दर्शाता हैं। लेकिन भारतीय सेना के जवानों का हौसला और तैयारी ने पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया और 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। तभी से इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जा रहा हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं की कारगिल की कामयाबी में इजराइल का भी हाथ था। जी हाँ, कारगिल लड़ाई भी भारतीय वायु सेना द्वारा इसराइली लिटेनिंग पॉड के लेजर गाइडेड बमों से ही पाकिस्तानी फ़ौज और उनके बंकरों पर हमले किए गए थे।

कारगिल युद्ध चरम पर था। 24 जून 1999 की सुबह भारतीय वायुसेना के 7 स्क्वाड्रन के दो मिराज 2000 टाइगर हिल से महज 18 किलोमीटर दूर थे। इस महत्वपूर्ण पडाड़ी पर पाक सेना का कब्जा था। तभी वायुसेना ने इसराइली लिटेनिंग पॉड के लेजर गाइडेड बमों के जरिए पाकिस्तान के बंकरों पर हमला कर दिया।

इन्हीं बंकरों में पाकिस्तान की नॉर्दन लाइट इंफ्रेंटी कमान का कमांड और कंट्रोल सेंट्रल भी था। इस हमले के बाद पाकिस्तान चारों खाने चित हो गया। इसके बाद तो पाकिस्तानी सेना बैकफुट पर आ गई और कारगिल की चोटियों पर एक-एक कर सभी पाकिस्तानी बंकर ध्वस्त होने लगे। पाकिस्तानी सेना को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। इस युद्ध में इसराइल ने भारत की बड़ी मदद की थी और भारतीय सेना को सर्विलांस और बॉम्बिंग के लिए जरूरी सामान दिया था।

रिपोर्ट की मानें तो कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना का ऑपरेशन सफेद सागर भी सफल नहीं हो पाता अगर इसराइली लेजर गाइडेड मिसाइल न हासिल हो पातीं। एयरफोर्स के फाइटर जेट्स ने इन्‍हीं लेजर गाइडेड बमों को पाकिस्‍तानी आतंकियों पर गिराया था। कहा जाता है कि उस समय अमेरिका कई अन्य देशों ने भी इसराइल पर दबाव डाला था कि भारत की मदद न की जाए, लेकिन उसने तमाम दबावों को दरकिनार करते हुए भारत की मदद की थी। एक जानकारी के मुताबिक इसराइल ने यह तकनीक भारत को 1971 में ही उपलब्ध करा दी थी, लेकिन इसका उपयोग कारगिल युद्ध के दौरान हुआ। ।।।और सब जानते हैं कि भारत ने पाक घुसपैठियों कारगिल से खदेड़ कर बाहर कर दिया था।