राहत की खबर, दिल्ली के प्राइवेट अस्‍पतालों में कोरोना का इलाज हुआ सस्ता

दिल्ली में कोरोना मरीजों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। दिल्ली में लगातार दूसरे दिन रिकॉर्ड 2 हजार 877 संक्रमित मिले और यहां 50 हजार के करीब कोरोना मरीज हो गए। पिछले 24 घंटे में 65 कोरोना मरीजों की मौत हुई है। देश की राजधानी दिल्ली में अब तक कोराना के कुल 49 हजार 979 मामले आ चुके हैं। जबकि कोरोना की वजह से हुई अब तक कुल मौतें 1 हजार 969 हैं। दिल्ली में बढ़ते कोरोना के बीच एक राहत की खबर सामने आई है।

दिल्ली में कोरोना संक्रमित लोगों के इलाज की दरों में काफी कटौती की गई है। गृह मंत्रालय ने डॉक्टर वीके पॉल कमेटी की सिफारिशों को लागू कर दिया है। बता दें कि फिलहाल दिल्‍ली के प्राइवेट हॉस्पिटल में आइसोलेशन बेड के लिए 24 से 25 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से लिया जाता है। यह दरें कोविड हॉस्पिटल्‍स के लिए हैं जहां कोरोना का इलाज होता है। 34 से 43 हजार रुपये प्रतिदिन आईसीयू बिना वेंटीलेटर और 44 से 54 हजार रुपये प्रतिदिन आईसीयू वेंटीलेटर के साथ। मौजूदा दरों में पीपीई किट की कीमत नहीं थी।

ये हुई नई दरें

वही अब प्राइवेट अस्पतालों में 8 से 10 हजार रुपये प्रति दिन में आइसोलेशन बेड मिलेंगे। इसके अलावा 13 से 15 हजार रुपये प्रतिदिन में आईसीयू बिना वेंटीलेटर के मिलेंगे। इसके अलावा 15 से 18 हजार रुपये प्रतिदिन पर आईसीयू वेंटीलेटर के साथ मिलेंगे। पीपीई किट की कीमत शामिल है।

गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने प्राइवेट हॉस्पिटल में कोरोना इलाज का रेट तय करने के लिए डॉक्टर वीके पॉल कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने आज गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें मौजूदा रेट को दो तिहाई कम करने के लिए कहा गया था। इसके बाद गृह मंत्रालय ने रेट को कम करने का फैसला किया है।

बता दे, देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस टेस्ट के दाम तय कर दिए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) द्वारा गठित कमेटी के सुझावों के बाद दिल्ली में कोरोना की जांच की कीमत 2,400 रुपए तय कर दी गई है।

बता दे, बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्य़क्ष आदेश गुप्ता औऱ कांग्रेस नेताओं ने प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के खर्च को कम करने की मांग की थी। उनका कहना था कि महामारी के दौर में प्राइवेट अस्पताल मुंहमांगा दाम वसूल रही हैं, जिससे आम लोगों को काफी समस्या हो रही है। इसके बाद गृह मंत्रालय ने कमेटी का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर इलाज के चार्ज को फिक्स करने का फैसला किया गया है।