होली पर रंगों से रहें सावधान, गुलाल में मिलाई जा रही मार्बल डस्ट; लाल रंग से स्किन कैंसर और लकवा का खतरा

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। होली के रंग अगर हर्बल हैं तो खेलने में कोई दिक्कत नहीं, लेकिन अगर इनमें ड ऑक्साइड, कॉपर सल्फेट जैसे खतरनाक केमिकल हो तो इनका सीधा असर आपके स्वास्थ्य पर पड़ता है। गहरे रंगों का संबंध ऑक्यूलर टॉक्सिसिटी से होता है। ये आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। आंखों में खुजली, पानी आना, जलन हो सकती है। रंगों में एसिड और केमिकल की वजह से त्वचा संबंधी एलर्जी होती है। ज्यादा लाभ कमाने के लिए रंग हो या गुलाल, सभी में मिलावट की जाती है।

गुलाल में मिलाई जा रही मार्बल डस्ट

गुलाल सामान्य तौर पर अरारोट में रंग मिलाकर तैयार किया जाता है। इस समय थोक बाजार में इसकी कीमत 45 रुपये किलो है, लेकिन इसमें भी मार्बल डस्ट मिलाई जा रही है। ऐसे में इसकी कीमत बहुत कम हो जाती है। मार्बल डस्ट का गुलाल थोक बाजार में 10 रुपये किलो बिक रहा है। इसके इस्तेमाल से त्वचा छिल सकती है। दूसरी ओर थोक बाजार में शुद्ध रंग एक हजार रुपये प्रति किलो से भी महंगा है, लेकिन कई दुकानों पर यह 150 रुपये किलो में बिक रहा है। इसके पीछे असली कारण ग्लूकोज पाउडर है।

मिलाया जाता है ग्लूकोज पाउडर

ग्लूकोज पाउडर को रंग में मिलाकर रंग की मात्रा को बढ़ा दिया जाता है। रंग कोई भी हो, केमिकल के आपस में कराए गए रिएक्शन से बनाया जाता है। खतरनाक केमिकल मिलाकर उन्हें ज्यादा चटख बनाया जाता है। खासतौर पर नीला, बैंगनी और हरा रंग। ये रंग ढेले के रूप में मिलते हैं। इनसे कैंसर तो हो ही सकता है, चर्म रोग, अस्थमा, बालों के झडऩे जैसी समस्याएं भी होती हैं।

लाल रंग के लिए पलाश और टेसू के फूलों का उपयोग करना चाहिए। टेसू का फूल सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। ये फूल रंग बाजार में भी मिलते हैं और इन्हें एक दिन पहले चूने में मिलाकर नारंगी रंग बनाया जा सकता है। हरङ्क्षसगार के फूलों को सुखा कर उसे उबाल कर नारंगी रंग बनाया जा सकता है। चुकंदर को अच्छे से घिसकर उससे भी लाल रंग बना सकते हैं।

रंग में मिलाया जा रहे ये केमिकल और उनके दुष्प्रभाव

- हरा रंग कॉपर सल्फेट से बनता है। इससे आंखों में खुजली हो सकती है।

- बैंगनी रंग क्रोमियम आयोडाइड से बनता है। इससे अस्थमा या एलर्जी हो सकती है।

- सिल्वर रंग एल्युमिनियम ब्रोमाइड से बनता है। इससे कैंसर हो सकता है।

- काला रंग लेड ऑक्साइड से बनाया जाता है। इससे किडनी प्रभावित होती है। साथ ही दिमाग पर असर होता है।

- लाल रंग मरक्यूरी सल्फेट से बनता है। इससे स्किन कैंसर, लकवा, नेत्र रोग हो सकते हैं।

गुलाल के रंग में केमिकल और उससे होने वाली बीमारी

- लाल गुलाल : इसमें मरकरी सल्फाइट का मिश्रण होता है। इससे स्किन कैंसर हो सकता है।

- हरा गुलाल : इसमें कॉपर सल्फेट होता है। जो आंखों में जलन पैदा करता है।

- काला गुलाल : इसमें लेड ऑक्साइड मिला होता है। मुंह के जरिए यह पेट में चला गया तो गुर्दे खराब हो सकते हैं।

- नीला गुलाल : इसमें प्रूशियन ब्लू होता है। इससे त्वचा का संक्रमण हो सकता है।

- चमकने वाले गुलाल : इनमें एल्युमिनियम ब्रोमाइड होता है। इससे कैंसर हो सकता है।