रांची । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को राज्य विधानसभा में 45 विधायकों का समर्थन हासिल करने के बाद विश्वास मत हासिल कर लिया। इस सप्ताह की शुरुआत में पदभार संभालने के बाद हेमंत सोरेन ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जब उन्हें कथित भूमि घोटाले में झारखंड उच्च न्यायालय से जमानत मिली थी। 81 सदस्यीय विधानसभा में हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 45 विधायक हैं - JMM-27, कांग्रेस-17 और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का 1 विधायक। हेमंत सोरेन ने 3 जुलाई को सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के पास दावा पेश करते वक्त 44 विधायकों के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र सौंपा था। सरकार विश्वास मत परीक्षण में सफल रही। झामुमो की अगुवाई वाली इस गठबंधन सरकार में कांग्रेस और राजद साझीदार हैं। सीपीआई एमएल के एक विधायक का भी सरकार को समर्थन प्राप्त है। दूसरी तरफ एनडीए के पास 27 विधायक हैं।
सबसे पहली बार 2013 में सीएम बनने के बाद वह फ्लोर टेस्ट में सफल हुए थे। दूसरी बार वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन की जीत के बाद सीएम बने थे और विधानसभा में विश्वास मत जीता था। तीसरी बार उन्होंने पत्थर खदान लीज विवाद में सरकार को राज्यपाल द्वारा बर्खास्त किए जाने की आशंका को देखते हुए 5 सितंबर, 2022 को एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर विश्वास मत साबित किया था।
ईडी ने हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में इसी साल 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उनकी जगह उनके मंत्रिमंडल में शामिल रहे चंपई सोरेन ने 2 फरवरी को सीएम की कुर्सी संभाली थी। 28 जून को हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए और उसके छठे दिन ही चंपई सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दिया। इसके बाद अगले दिन 4 जुलाई को हेमंत सोरेन ने सीएम पद की शपथ ली।