कोरोना के घटने लगे मरीज फिर भी अनलॉक नहीं चाहते स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ, बताई ये वजह

देशभर में कोरोना के मामले भले ही कम होने लगे है ऐसे में कई राज्य अब अनलॉक की तैयारी कर रहे है ऐसे में पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट का कहना है कि कि कोरोना के मामले एक लाख से कम भी आते हैं तब भी जून में अनलॉक (Unlock) नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो कोरोना का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा। ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉ। एमसी मिश्र कहते हैं कि फिलहाल राज्‍य सरकारों को लॉकडाउन खोलने को लेकर विचार भी नहीं करना चाहिए। अगर इस वक्‍त लॉकडाउन खोल दिया गया तो बीमारी की एक तबाही देखने के बाद जो हालात अब हालात सामान्‍य होने जा रहे हैं, वे बहुत तेजी से बिगड़ जाएंगे।

डॉ मिश्र कहते हैं कि अगर पिछले साल से तुलना करें तो अभी भी कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा पहली लहर के मुकाबले दोगुना है। भले ही संक्रमितों का आंकड़ा चार लाख से ऊपर पहुंचने के बाद घट रहा है लेकिन अभी भी पौने दो लाख से ज्‍यादा लोगों का रोजाना मिलना चिंता की बात है।

नेशनल काउंसिल फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) से रिटायर्ड पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट डॉ सतपाल कहते हैं कि बीमारी पर नियंत्रण करने के लिए इस वक्‍त यह बेहद जरुरी है कि लोगों को छूट न दी जाए। हां एक फीसदी से भी कम संक्रमण दर आने पर कुछ उपाय किए जा सकते हैं कि बाजारों से लेकर अनवार्य सेवाएं भी चलती रहें और पाबंदियां भी लगी रहें।

डॉ सतपाल कहते हैं कि पहली लहर के दौरान ही अगर अनलॉक के लिए योजनाएं बना ली जातीं तो दूसरी लहर इतनी भयावह नहीं होती। केंद्र और राज्‍य सरकारों को चाहिए कि वे समय का बंटवारा सही तरीके से करें और सीमित स्‍तर पर सुविधाओं को शुरू करें। हालांकि अभी जब केसों में कमी आ रही है तो सीधे अनलॉक करना खतरे को बढ़ाने जैसा ही है।

डॉ एमसी मिश्र आगे कहते हैं कि पहली लहर में लॉकडाउन समय से लगाया गया था लेकिन इस बार लॉकडाउन लगाने में देर की गई। केंद्र की ओर से लॉकडाउन का फैसला राज्‍यों पर छोड़ने के बाद इसपर कोई फैसला जल्‍दी नहीं लिया गया और स्थितियां बिगड़ गईं। दिल्‍ली सहित केरल, महाराष्‍ट्र आदि कई राज्‍यों में अप्रैल के शुरू में ही लॉकडाउन लग जाना चाहिए था। यहां तक कि पंजाब, राजस्‍थान, एमपी, यूपी आदि कई राज्‍यों ने लॉकडाउन लगाने में देर की। अब जब तक संक्रमण दर एक-दो फीसदी पर न आ जाए तब तक लॉकडाउन रहना चाहिए।

इसके साथ ही डॉ मिश्र कहते हैं कि अगर राज्य सरकारें लॉकडाउन को जुलाई तक रखती है तो संभावना है कि तीसरी लहर से बचा जा सकता है। जिसमें कि बच्‍चों और युवाओं के प्रभावित होने की बात कही जा रही है। जल्‍दबाजी में लॉकडाउन खोलने का फैसला नुकसान दे सकता है। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन भी लगाई जाए। इस वक्‍त कम से कम 50 लाख लोगों को एक महीने में वैक्‍सीन लगनी चाहिए। वहीं जून और जुलाई तक टीकाकरण के आंकड़ों में बढ़ोतरी होनी चाहिए।

बीते 24 घंटे में 2 लाख से कम कोरोना मरीज


बता दे, देश में बीते 24 घंटे में 2 लाख से कम कोरोना मरीज मिले। नए मरीजों का आंकड़ा बीते 54 दिन में सबसे कम रहा। गुरुवार को 1 लाख 79 हजार 535 कोरोना के नए मरीज मिले वहीं, 2 लाख 64 हजार 182 मरीज ठीक भी हुए। गुरुवार को देश में 89,733 एक्टिव केस कम हुए हैं। अब 23,27,541 मरीजों का इलाज चल रहा है। बता दे, इस दौरान 3,556 मरीजों की मौत भी हुई है. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान एक दिन में सर्वाधिक 4,529 मौतें 19 मई को दर्ज की गई थीं। मई के महीने में यह आंकड़ा 3400 से अधिक ही बना हुआ है। पिछले महीने की बात करें तो 15 अप्रैल को जहां 24 घंटे के अंदर मौतों का आंक़़डा 1,038 था वहीं आठ अप्रैल को यह आंक़़डा मात्र 685 मौतों का था। देश में कोरोना के अब तक कुल 2,75,47,705 मामले सामने आ चुके हैं। भारत में कोरोना से अब तक कुल 3,18,821 लोगों की मौत हो चुकी है।