हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिवार को मिली सुरक्षा, हर शख्स को मिले दो सुरक्षाकर्मी, कहीं जाने से पहले सूचित करना जरूरी

उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप और मौत के मामले की जांच कर रही एसआईटी सात दिन में अपनी जांच पूरी नहीं कर सकी है। एसआईटी को आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन एसआईटी की जांच का दायरा बढ़ाया गया है। ऐसे में सीएम के निर्देश पर प्रमुख सचिव गृह की तरफ से 10 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया है। बुधवार को योगी ने इसके लिए मंजूरी दी है। जांच से इतर पीड़िता के परिवार को अब सुरक्षा मुहैया करा दी गई है। राज्य सरकार की ओर से पीड़िता के परिवार के हर सदस्य के लिए दो सुरक्षाकर्मी मुहैया कराए गए हैं। हालांकि, अब कहीं पर भी जाने से पहले पीड़िता के परिवार को सुरक्षाकर्मियों को जानकारी देनी होगी, तभी व्यवस्था हो पाएगी।

आपको बता दें कि हाथरस गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद पीड़िता के परिवार की सुरक्षा पर लगातार सवाल खड़े हो रहे थे। खुद पीड़िता के पिता का बयान आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें गांव में डर लग रहा है या तो उन्हें सुरक्षा दी जाए वरना गांव से कहीं अलग ले जाया जाए। गौरतलब है कि हाथरस के भूलगढ़ी गांव में जहां पीड़िता का परिवार रहता है, वहां आरोपियों के समर्थन में भी कई सभाएं और रैली हो चुकी हैं। आरोपियों के समर्थन में लोगों ने प्रदर्शन किया और पीड़िता के परिवार पर जबरन उनकी जाति के लोगों को फंसाने का आरोप लगाया। ऐसे में सुरक्षा को लेकर मांग उठ रही थी।

मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देते हुए ये सूचित किया था कि परिवार को कोई खतरा नहीं है। और सरकार की ओर से सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।

शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने परिवार को सुरक्षा दिलवाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिखी थी, इसके अलावा भीम आर्मी के चंद्रशेखर ने भी राज्य सरकार की ओर से सुरक्षा देने की मांग की थी।

जांच समय बढ़ाए जाने पर सवाल उठाए

उधर, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने जांच के लिए समय बढ़ाए जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि सरकार कोई भी काम तय समय सीमा में पूरा नहीं कर रही। सात दिन में जांच करने का समय दिया गया था। अब 10 दिन का समय और मांग रही है। इसका मतलब कोई न कोई गड़बड़ तो है।

100 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज हुए


एसआईटी जांच टीम में भगवान स्वरूप के अलावा डीआईजी चंद्र प्रकाश द्वितीय और एसपी पूनम बतौर सदस्य शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि एसआईटी ने अपनी जांच के दौरान 100 से ज्यादा लोगों के बयान कलम बंद किए हैं। इसमें गैंगरेप पीड़िता के परिवार के अलावा अभियुक्तों‚ पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के बयान भी शामिल हैं। इस मामले में कुछ और अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है। इसके पहले ही हाथरस के एसपी और पुलिस उपाधीक्षक समेत पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित किया जा चुका है।

फोन कॉल रिकॉर्ड से नया खुलासा

हाथरस कांड में फोन कॉल रिकॉर्ड से नया मोड़ आ गया है। एसआईटी की जांच में पता चला है कि आरोपी संदीप के फोन से पीड़िता के भाई के फोन पर लगातार बातचीत हुई थी। अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक दोनों फोन के बीच 104 कॉल हुई, जिसमें से 62 कॉल आरोपी संदीप के फोन पर आई, जबकि 42 कॉल पीड़िता के भाई के फोन पर।

हाथरस के चंदपा इलाके के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को एक दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप की वारदात हुई थी। इसमें गांव के ही चार युवकों पर रेप का आरोप लगा था। जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इलाज के दौरान पीड़िता की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी। लेकिन, उस वक्त बवाल मच गया जब पुलिस ने रात में ही परिजनों को बिना शव सौंपे उसका अंतिम संस्कार कर दिया। इस घटना के बाद सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक आक्रोश देखने को मिला।

बता दें कि बीते कई दिनों से गांव में पुलिस का पहरा है लेकिन पीड़िता के घर पर राजनीतिक दलों के साथ-साथ कई सामाजिक संगठनों और अन्य लोगों का आना-जाना लगा हुआ है। साथ ही अभी एसआईटी की जांच भी चल रही है।