हाथरस केस / UP में विदेशी फंडिंग के जरिए दंगा भड़काने की कोशिश, अब ED भी करेगी जांच

उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़िता की मौत और उसके बाद पनपे राजनीतिक सरगमर्मी के बीच अब स्थिति बदलती हुई दिख रही है। बीते दो दिनों में बदलते घटनाक्रम के बीच सबसे बड़ी साजिश तो माहौल बिगाड़ने के लिए एक वेबसाइट के जरिये विदेशी फंडिंग की सामने आई है, जिसके बाद अन्य जांच व सुरक्षा एजेंसियां भी हरकत में आ गई हैं। राज्य सरकार ने आरोप लगाया है कि इस घटना की आड़ में प्रदेश में जातीय दंगा भड़काने की कोशिश हो रही थी, जिसके लिए वेबसाइट बनाकर और अन्य प्लेटफॉर्म के जरिए फंड इकट्ठा किया जा रहा था। अब जल्द ही इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एंट्री हो सकती है, जहां पर फंडिंग की जांच को लेकर मामला दर्ज हो सकता है।

ईडी ने वेबसाइट के जरिये फंडिंग के मामले में हाथरस में दर्ज एक एफआइआर को आधार बनाकर अपनी छानबीन शुरू कर दी है और जल्द मनी लांड्रिंग का केस दर्ज करने की तैयारी है। प्लेटफार्म कार्ड डॉट कॉम के जरिये वेबसाइट बनाई गई और बड़ा खेल किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि इस तरह की वेबसाइट का मुख्य लक्ष्य सीएम योगी आदित्यनाथ, पीएम नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश व केंद्र सरकार की छवि को खराब करना है। वेबसाइट पर फर्जी आईडी से कई लोगों को जोड़ा गया। इसके साथ ही इसमें दंगे कैसे करें और फिर दंगों के बाद कैसे बचें, इसके कानूनी उपाय की जानकारी वेबसाइट पर दी गई है। वेबसाइट के जरिये की गईं सभी गतिविधियां अब जांच के घेरे में आ चुकी हैं। इस वेबसाइट के जरिए सोशल मीडिया पर भ्रामक व आपत्तिजनक पोस्ट की गई थीं। वेबसाइट के जरिए ही माहौल बिगाड़ने की साजिश के लिए विदेश से फंडिंग किए जाने की बात भी सामने आई है। दुनिया भर में यूपी को बदनाम करने की कोशिश की गई।

हो सकती है कई गिरफ्तारियां

ED के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह के मुताबिक, हाथरस की पुलिस ने एक वेबसाइट को लेकर केस दर्ज किया है। इसके बाद एजेंसी इसमें जांच का एंगल देखेगी। इस वेबसाइट के जरिए जस्टिस फॉर हाथरस के लिए मुहिम चलाई गई। सूत्रों का कहना है कि ऐसे में ईडी जल्द ही PMLA के तहत इसमें मामला दर्ज कर फंडिंग पर जांच शुरू कर सकती है। साथ ही जल्द ही कई गिरफ्तारियां देखने को मिल सकती हैं।

हाथरस की पुलिस ने इस मामले में सेक्शन 153A के तहत भी केस दर्ज किया है। इसी धारा में PMLA का सेक्शन भी लागू होता है। एक बार अगर ED इस मामले में जांच आगे बढ़ाती है तो विदेशी फंडिंग को लेकर कई बातें सामने आ सकती हैं। जिसमें वेब पॉर्टल के द्वारा किसे पैसा मिला, किसने दिया और कहां से आया, जैसी चीज़ों को परखा जाएगा। इस दौरान कई ऐसी एजेंसियों की मदद ली जाएगी, जो आईपी एड्रेस खंगालने, ई-मेल आईडी, फोन नंबर, वेबसाइट, वेब लिंक जैसे तारों को जोड़ पाए। जो वेब प्लेटफॉर्म इस मामले में निशाने पर है वो मुख्य रूप से अमेरिकी बेस्ड है।

ईडी के लखनऊ स्थित जोनल मुख्यालय के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह का कहना है कि हाथरस में एक वेबसाइट के जरिए फंडिंग की जांच की जा रही है। जल्द आगे की कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि यूपी पुलिस का दावा है कि हाथरस को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत जानकारी फैलाई गई। जिसके कारण माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई और एक जाति से दूसरी जाति में लड़ाई करवाने की कोशिश की गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मामले में एक्शन की बात कही थी, साथ ही विपक्ष पर माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया था।

हाथरस में छह मुकदमे दर्ज

एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने सोमवार को प्रेसवार्ता में बताया कि सूबे में जातीय संघर्ष कराने व राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश के तहत सोशल मीडिया के जरिए भ्रामक सूचनाओं को प्रसारित किया गया है। हाथरस में कुछ संगठनों ने कोविड-19 की गाइडलाइन व धारा-144 का उल्लंघन करते हुए माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया। पुलिस पर हमलावर भी हुए। इसे लेकर हाथरस में छह मुकदमे दर्ज कराए गए हैं, जिनमें सपा, रालोद, भीम आर्मी के नेताओं समेत अन्य अज्ञात को आरोपित बनाया गया है। यह मुकदमे राष्ट्रद्रोह, आपराधिक षड्यंत्र, जातीय उन्माद भड़काने, पुलिस पर हमला, यातायात बाधित करने तथा कोविड-19 की गाइडलाइन व धारा 144 के उल्लंघन समेत अन्य धाराओं में दर्ज किए गए हैं।

एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि सभी मुकदमों में वीडियो और तस्वीरों के जरिये आरोपितों को चिह्नित कराने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। कई संगठनों की भूमिका की भी गहनता से छानबीन के निर्देश दिए गए हैं। खुफिया तंत्र को भी सभी बिंदुओं पर जांच के लिए सक्रिय किया गया है। जल्द वीडियो व तस्वीरों के जरिए आरोपितों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

गौरतलब है कि यूपी के हाथरस में एक दलित युवती का गैंगरेप हुआ था, जिसके बाद दिल्ली में 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी। मौत के बाद जिस तरह यूपी पुलिस ने युवती का अंतिम संस्कार नन-फानन में रात के अंधेरे में ही कर दिया, उसपर काफी विवाद हुआ। राजनीतिक दलों से लेकर कई सामाजिक संगठनों ने यूपी सरकार पर सवाल खड़े किए।