एच-1 बी H1B Visa वीजा पर पिछले लंबे समय से जारी अटकलों को खुद अमेरिका विराम देने जा रहा है। डोनाल्ड ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि एच-1बी वीजा प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ये बात तब सामने आई है जब अगले हफ्ते भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू बातचीत होने वाली है। माना जा रहा है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अमेरिका के साथ वार्ता में इस मुद्दे को उठाएंगी। अमेरिका ने यह फैसला भारत के रुख को देखकर लिया है क्योंकि उसे लगता है कि बैठक में यह मुद्दा उठाया जा सकता है।
सुषमा स्वराज Sushma Swaraj ने गत माह राज्यसभा में कहा था कि हम इस मुद्दे को कई मंचों पर उठा रहे हैं और व्हाइट हाउस के साथ साथ वहां के प्रांतीय प्रशासन व सांसदों से लगातार संपर्क में हैं। नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, हम जानते हैं कि भारत एच-1 बी का मुद्दा टू प्लस टू वार्ता में उठाने की तैयारी में है, लेकिन इसमें कुछ कहने को रह नहीं जाएगा क्योंकि नीति में कोई बदलाव ही नहीं होगा। अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के कार्यकारी आदेश में अमेरिका में काम करने के लिए वीजा कार्यक्रम की बड़ी पैमाने पर समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं। वीजा समीक्षा करने का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि इससे अमेरिका के कर्मचारी और उन्हें मिलने वाला वेतन प्रभावित न हो।
अफसर ने बताया कि एच-1बी वीजा को लेकर दिए ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन के एग्जीक्यूटिव ऑर्डर का बोर्ड रिव्यू कराया जा रहा है। यह तय किया जा रहा है कि इसके तहत किसी भी कर्मचारी या वेतन को लेकर नुकसान न हो। लेकिन इतना तय है कि अमेरिकी सरकार वीजा प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं करने जा रही।
एच-1बी वीजा पहले तीन साल के लिए दिया जाता है। इस अवधि को बढ़ाने का विकल्प रहता है। इसे अधिकतम छह साल किया जा सकता है। जुलाई 2017 में अमेरिकी अधिकारियों ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया गया था कि अन्य देशों के मुकाबले एच-1बी वीजा के लिए सबसे ज्यादा भारतीय आवेदन करते हैं। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के आंकड़ों के अनुसार, 2007 से 2017 तक भारतीयों ने एच-1बी वीजा के लिए 22 लाख आवेदन किए थे। इसके बाद चीन का नंबर आता है। वहां से तीन लाख आवेदन किए गए।