गरीब तबके की बच्चियों को पढ़ाने की चाह में खोला गुरुकुल, आज 180 बच्चों को मिलती है नि:शुल्क शिक्षा

जयपुर। गरीब, अनपढ़ बच्चों को शिक्षित करने की चाह के चलते मालवीय नगर A-377 की रहवासी श्रीमती संगीता ऋषभ बोहरा ने अपने घर में ही छोटे स्तर पर शैक्षिक केन्द्र गुरूकुल के नाम से स्कूल की स्थापना कर दी। सिर्फ एक बच्चे से शुरू हुआ यह स्कूल आज अपने पाँच वर्ष पूरे कर चुका है और यहाँ पढऩे आने वाले बच्चों की संख्या 180 तक पहुँच चुकी है। गुजरते समय ने इस स्कूल की साख को परवान चढ़ाना शुरू किया है। पाँच वर्ष पूर्व शुरू किए गए इस शिक्षण संस्थान की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यहाँ बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाया जाता है और प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधा और माहौल उनको उपलब्ध कराया जाता है। अब यहाँ पर उन परिवारों के बच्चे भी पढऩे के लिए आने लगे हैं जो अपने बच्चों की शिक्षा पर कुछ खर्च कर सकते हैं। वर्तमान में गुरूकुल में नर्सरी से आठवीं कक्षा के तक बच्चों को पढ़ाई करवाई जा रही है।

लक्ष्मी इंडिया फाइनेंस ने की सहायता

गुरुकुल एक किरण उजाले की ओर संस्था के द्वारा बच्चों को पढ़ाई से सम्बन्धित समस्त सामग्री—किताब, कॉपी, रूल, रबड़ से लेकर यूनिफॉर्म तक नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जाती है। हाल ही में लक्ष्मी इंडिया फाइनेंस नामक संस्था और समाजसेविका मेघा चोपड़ा ने इस स्कूल के बच्चों को किताबें, कॉपिया, गर्म कपड़े और स्टेशनरी का सामान दान स्वरूप भेंट किया है। लक्ष्मी इंडिया फाइनेंस की श्रीमती प्रेम देवी बैद पिछले तीन सालों से लगातार इस स्कूल के बच्चों को अपनी तरफ से हर मदद करती आ रही हैं। वह अपनी कम्पनी के माध्यम से C.S.R. Activity कराती रहती हैं। इसके साथ ही बच्चों को स्कूल पहनकर आने के लिए जूते भी उपलब्ध करवाए जाते हैं।


स्कूल की संस्थापिका श्रीमती संगीता ऋषभ बोहरा से इस स्कूल की स्थापना करने का कारण पूछने पर उन्होंने कहा मेरा सपना था कि मैं उन परिवार वालों की बच्चियों को शिक्षित करूं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इसके साथ ही उन परिजनों की विचारधारा को बदलना जो यह सोचते हैं कि हम गरीब हैं सिर्फ लडक़े को पढ़ा सकते हैं, लडक़ी नहीं पढ़ेगी तो क्या फर्क पड़ेगा। इस सोच को बदलने के विचार के साथ बच्चियों को पढ़ाना शुरू किया। मेरे इस कदम में मुझे मेरी सास स्वर्गीय श्रीमती मंजू बोहरा और पति ऋषभ बोहरा के साथ, मेरी माँ स्वर्गीय सरोज जैन ने बहुत सहयोग किया। अब बच्चियों के साथ-साथ बच्चों को भी गुरूकुल में नि:शुल्क शिक्षा दी जा रही है।

6 अध्यापिकाएँ और 5 क्लास रूम

श्रीमती संगीता ऋषभ बोहरा ने अपने घर के पाँच कमरों को क्लास रूम में तब्दील करते हुए गुरूकुल को शुरू किया। इस स्कूल में कार्यरत अध्यापिका सपना श्रीवास्तव व नीलम माहौर का कहना था कि इस छोटे से स्कूल में बच्चों के पढऩे के लिए स्मार्ट क्लास रूम भी है। वहीं छोटे बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ खेलने के लिए खिलौने भी उपलब्ध हैं। सभी अध्यापिकाओं को संस्था की ओर से ही वेतन दिया जाता है। हर माह करीब 80 हजार से अधिक खर्च हो रहा है। गौरतलब है कि इस स्कूल में पढऩे आने वाले बच्चों को स्वयं संगीता ऋषभ बोहरा भी अन्य अध्यापिकाओं के साथ पढ़ाती हैं।

बनने लगा कारवाँ

गुरूकुल में बच्चों को नि:शुल्क पढ़ते देखकर अब कुछ समाजसेवी संस्थाएँ भी मदद करने को आगे आने लगी हैं। विशेष रूप से विमल बैद व प्रेमदेवी बैद की संस्था लक्ष्मी इंडिया फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड अब इन्हें आर्थिक सहयोग करने लगी हैं। इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत स्तर पर कोई शादी की सालगिरह, जन्मदिन या पुण्य तिथि पर बच्चों के लिए आर्थिक मदद कर रहे हैं। गुरूकुल की संस्थापिका और प्रिंसीपल श्रीमती संगीता ऋषभ बोहरा का कहना है कि यदि कोई समाजसेवी संगठन मदद करता है तो इस सत्र से इस स्कूल में पढऩे आने वाले बच्चों को मिड डे मील भी देना शुरू किया जाएगा।

स्कूल के स्तर को बढ़ाने का होगा प्रयास
अब श्रीमती संगीता ऋषभ बोहरा का अपने स्कूल के स्तर को बढ़ाने और कहीं और बड़ी जगह पर इसे स्थानान्तिरत करने का है। सम्भावना है कि वे आगामी सत्र तक अपने स्कूल के लिए कोई नई जगह तलाश करने में सफल होंगी।