सूरत / श्मशान की फीस के नहीं थे पैसे, परिवार ने सड़क पर किया अंतिम संस्कार, मामला दर्ज

गुजरात के सूरत जिले में एक आदिवासी परिवार ने मृतक का अंतिम संस्कार सड़क पर ही कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने परिवार के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मामला दर्ज होने के बाद परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्हें श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार की इजाजत नहीं मिली थी, क्योंकि उनसे फीस के तौर पर जो पैसे की मांग की गई थी वो उनके पास नहीं थे। इस घटना के बाद गांव में तनाव जैसा माहौल हो गया है। इस संबंध में पुलिस ने मामला दर्ज कर घटना की जांच कर रही है।

ये है पूरा मामला?

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस घटना के बाद इलाके के ऊंची जाति के लोग और हलापटी समाज (आदिवासी) के बीच तनाव बढ़ गया है। ये घटना पिछले मंगलवार की है। मजदूरी का काम करने वाले 45 साल के मोहन कुमार राठौड़ की मौत हो गई। इसके बाद इनका अंतिम संस्कार करने के लिए उनके बेट शिव और परिवार के बाकि लोग धार्मिक मैसूर्या पहुंचे। यही संस्था वहां श्मशान घाट चलाती है। वहां इनसे कहा गया कि अंतिम संस्कार की फीस अब 1100 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये कर दी गई है। गांव के लोगों के मुताबिक शिव ने कहा कि उनके पास इतने पैसे नहीं है। लेकिन श्मशान घाट वाले लोग नहीं माने और उन्हें अंतिम संस्कार की इजाजत नहीं दी। बाद में शिव और उसके परिवार को लोगों ने लकड़ी लाकर मेन रोड पर ही अपने पिता का अंतिम संस्कार कर दिया। इस घटना के बाद इसी गांव के याज्ञनिक राठौड़ नाम के एक शख्स ने शिव और उनके परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा दी। उनका कहना है कि लाश को मेन रोड पर जलाकर उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत किया गया। इसके बाद बुधवार को इसी समुदाय के महेश राठौड़ की मौत हो गई। एक बार फिर से गांव के लोग श्मशान घाट पहुंचे। यहां गांव के पाटेदार और श्मशान घाट के सदस्यों के साथ इनकी जम कर कहासुनी हुई। बाद में पुलिस को यहां पहुंच कर मामले को शांत करना पड़ा। आखिरकार आदिवासी समुदाय को अंतिम संस्कार की इजाजत दी गई।

दाह संस्कार के बाद दोनों पक्षों के बीच सुलह के लिए एक बैठक हुई जहां ये तय हुआ कि हलापटी समुदाय के लोगों को अंतिम संस्कार के लिए तय फीस में छूट दी जाएगी। इस बीच यहां के सब इंस्पेक्टर सीएम गांडवी के मुताबिक हालात अब नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कहा कि मामले की जांच की जा रही है।