अहमदाबाद। राजकोट गेम जोन हादसे को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में नगर निगम और स्थानीय प्रशासन को खूब फटकार लगाई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह पूरा गेम जोन अनाधिकृत जमीन पर बना हुआ था और इसे इसके मालिक ने पूरी तरह लकड़ी से बना रखा था। इसके अतिरिक्त इसका प्रवेश और निकास द्वार एक ही था। इसके अतिरिक्त इस गेम जोन के मालिक ने प्रशासन से कोई एनओसी नहीं ले रखी थी। साथ फायर सेफ्टी को लेकर पिछले चार साल से मामला लम्बित चल रहा था। इन सब बातों पर कोर्ट ने कहा, ‘अब हमें स्थानीय व्यवस्था और राज्य सरकार पर भरोसा नहीं है, आप अंधे हो गए थे। इतने साल से यह सब चल रहा था तो क्या अधिकारी सो गए थे।’
इस बीच गुजरात सरकार ने गेम जोन कांड में सख्त कार्रवाई करते हुए 7 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। इनमें 2 पुलिस इंस्पेक्टर, 2 असिस्टेंट इंजीनियर, 2 डिप्टी इंजीनियर और 1 फायर स्टेशन ऑफिसर शामिल हैं।
गुजरात हाईकोर्ट में जस्टिस बीरेन वैष्णव और देवेन देसाई की बेंच ने सुनवाई के दौरान सवाल किया कि इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है। हम पिछले चार सालों में कितने ऑर्डर पास कर चुके हैं। इसके जिम्मेदार अधिकारी क्यों नींद में थे।’
इस मामले में हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ब्रिजेश त्रिवेदी ने कोर्ट से कहा कि घटनास्थल को साफ किया जा रहा है। ऐसे में आरोपियों के खिलाफ सबूत कैसे जुटाएंगे। इस पर हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी नगर निगमों के वकील अपना पक्ष रखेंगे. इसके बाद राज्य सरकार के वकील बताएंगे कि सरकार ने क्या कदम उठाएं हैं?
‘गेम जोन’ में शनिवार शाम लगी भीषण आग में 10 बच्चों सहित 32 लोगों की मौत हो गई। सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इन अधिकारियों को ‘जरूरी मंजूरी के बिना इस ‘गेम जोन’ को चलाने की इजाजत देकर घोर लापरवाही बरतने का’ जिम्मेदार ठहराया गया है।
सरकार ने छह अधिकारियों को निलंबित करने की कार्रवाई ऐसे समय में की है, जब मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने संबंधित विभागों को ऐसी गंभीर घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त और दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
‘गेम जोन’ में आग लगने से 32 लोगों की मौत के बाद पुलिस ने इसके छह पार्टनर्स और एक अन्य के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में एफआईआर दर्ज की है और दो लोगों को गिरफ्तार किया है।