PAK एस्ट्रोनॉट ने भारत और ISRO को दी बधाई, कहा - पूरी ग्लोबल स्पेस इंडस्ट्री के लिए गर्व की बात

भारत (India) का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) के लैंडर विक्रम का चांद पर लैंडिंग से पहले महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर आकर संपर्क टूट गया। इस बात की आशंका पहले ही लगाई जा रही थी कि लैंडर विक्रम (Lander vikram) के चांद की सतह पर पहुंचने से पहले के 15 मिनट काफी अहम होंगे। हालांकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अपनी कक्षा में सुरक्षित स्थापित हो चुका है और यह अगले साढ़े 7 साल तक काम कर सकता है।

इस उपलब्धि के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में इसरो की तारीफ हो रही है। यहां तक कि पाकिस्तान की पहली एस्ट्रोनॉट नमीरा सलीम ने भी इसरो के इस ऐतिहासिक प्रयास के लिए बधाई दी है। नमीरा सलीम ने कहा, 'मैं चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की चांद के साउथ पोल में सॉफ्ट लैंडिंग की ऐतिहासिक कोशिश के लिए इसरो और भारत को बधाई देती हूं।'

पाकिस्तानी एस्ट्रोनॉट नमीरा सलीम ने कहा, 'चंद्रयान-2 मिशन दक्षिण एशिया के लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में लंबी छलांग है। यह सिर्फ दक्षिण एशिया के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी ग्लोबल स्पेस इंडस्ट्री के लिए गर्व का विषय है।'

नमीरा सलीम ने यह भी कहा कि अंतरिक्ष में सभी राजनीतिक सीमाएं खत्म हो जाती हैं। नमीरा सलीम ने कहा, 'दक्षिण एशिया में अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतनी बड़ी उपलब्धि अद्भुत है। यहां यह मायने नहीं रखता है कि इसमें कौन सा देश नेतृत्व कर रहा है। अंतरिक्ष में सभी राजनीतिक सीमाएं खत्म हो जाती हैं। जो हमको धरती में बांटता है, उसको पीछे करके अंतरिक्ष हमको एकजुट करता है।'

बता दे, नमीरा सलीम पाकिस्तान की पहली एस्ट्रोनॉट हैं, जो सर रिचर्ड ब्रैनसन वर्जिन गैलेक्टिक के साथ अंतरिक्ष जाएंगी। सर रिचर्ड ब्रैनसन वर्जिन गैलेक्टिक दुनिया की पहली कॉमर्शियल स्पेसलाइन है। नमीरा सलीम पहली पाकिस्तानी और मोनाको से पहली महिला हैं, जिन्होंने नॉर्थ पोल और साउथ पोल पहुंचने का कीर्तिमान रचा है। वो अप्रैल 2007 में नॉर्थ पोल और जनवरी 2008 में साउथ पोल पहुंचीं। नमीरा सलीम स्पेस डिप्लोमेसी को लेकर बेहद मुखर रहती हैं। वो धरती में शांति के लिए अंतरिक्ष में नया मोर्चा बनाने की वकालत करती हैं।

चंद्रयान-2 मिशन में अभी सबकुछ खत्म नहीं हुआ है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के एक अधिकारी ने बताया कि संपर्क टूटने के बाद भी 95% चंद्रयान 2 का मिशन अब तक सफल रहा है। लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया, 'मिशन ने अपना पांच फीसदी हिस्सा ही खोया है, बाकी 95 फीसदी, जो चंद्रयान 2 ऑर्बिटर है, सफलतापूर्वक चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है।'

एक साल के मिशन लाइफ में ये ऑर्बिटर चंद्रमा की कई तस्वीरें ले सकता है और इसे इसरो को भेज सकता है। इसरो के अधिकारी ने कहा कि ऑर्बिटर लैंडर विक्रम की तस्वीरें लेकर उसकी स्थिति के बारे में पता लगा सकता है। चंद्रयान -2 अंतरिक्ष यान में तीन खंड शामिल थे - ऑर्बिटर (2,379 किग्रा, आठ पेलोड), लैंडर 'विक्रम' (1,471 किग्रा, चार पेलोड) और रोवर 'प्रज्ञान' (27 किग्रा, दो पेलोड)। 2 सितंबर को, विक्रम ऑर्बिटर से अलग हो गया था।