PM मोदी और जिनपिंग के स्वागत में 18 तरह की सब्जियों और फलों सजाया गया गेट

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) आज शुक्रवार को भारत दौरे पर पहुंच रहे हैं। तमिलनाडु के महाबलीपुरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी अनौपचारिक मुलाकात होगी। शी जिनपिंग के आगमन को देखते हुए पूरे महाबलीपुरम को सैन्य छावनी में तब्दील कर दिया गया है और करीब 10 हजार पुलिस के जवान उनकी सुरक्षा के लिए लगाए गए हैं। वही दोनों नेताओं के स्वागत के लिए यहां के पंच रथ के पास एक बहुत बड़ा गेट बनाया गया है। इसकी सजावट में 18 प्रकार की सब्जियां और फलों का प्रयोग किया गया है। इन फलों और सब्जियों को तमिलनाडु के विभिन्न इलाकों से मंगाया गया है।

डिपार्टमेंट ऑफ हॉल्टिकल्चर के एडिशनल डायरेक्टर तमिलवेधन ने बताया कि इनमें से अधिकांश सब्जियां ऑर्गनिक हैं और इन्हें सीधे खेतों से यहां लाया गया है। शोर मंदिर के पास बने गेट पर पारंपारिक केले के पेड़ लगाए हैं। सफेद और लाल रंग के गुलाब भी डेकोरेशन में इस्तेमाल किए गए हैं। दोनों नेताओं के बीच यह दूसरी अनौपचारिक मुलाकात है। पहली अनौपचारिक बैठक वुहान में हुई थी।

Xi Jinping के लिए किले में तब्दील हुआ महाबलीपुरम, 10 हजार जवान तैनात, 800 CCTV कैमरे रखेंगे नजर

जिनपिंग के दौरे से पहले पूरे महाबलीपुरम को किले में तब्दील कर दिया गया है। इसके तहत सात लेयर के सुरक्षा घेरे में करीब 10 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे। रास्तों और कार्यक्रम स्थल पर 800 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने समुद्र तट से कुछ दूरी पर युद्धपोत तैनात किए हैं। 9 आईएएस अधिकारियों और विभिन्न विभागों के 34 वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी के तौर पर तैनात किया गया है।

चेन्नई एयरपोर्ट पर विशेष सजावट की गई, बच्चे अनोखा स्वागत करेंगे

जिनपिंग के स्वागत की विशेष तैयारियां की गई हैं। चेन्नई एयरपोर्ट को पारंपरिक रूप से केले के पत्तों, फल-फूल मालाओं के साथ सजाया गया है। वहां अनोखा स्वागत करने के लिए 2000 स्कूली छात्र जिनपिंग का मुखौटा पहनकर अंग्रेजी के शब्द वेलकम की मुद्रा में होंगे। जहां से भी जिनपिंग गुजरेंगे, वहां भारत और चीन के झंडे लगे होंगे। शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं, चेन्नई से महाबलीपुरम तक 10 हजार जवान तैनात हैं। रास्तों और कार्यक्रम स्थल पर 800 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने समुद्र तट से कुछ दूरी पर युद्धपोत तैनात किए हैं।

एयरपोर्ट से जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री मोदी होटल जाएंगे। वहां खाना खाने के बाद शाम करीब 5 बजे जिनिपंग 60 किमी दूर महाबलीपुरम पहुंचेंगे। वहां वह विश्व विरासत स्थल में शामिल शोर मंदिर, 7वीं सदी का अर्जुन का तपस्या स्मारक, पल्लव वंश द्वारा बनाए गए पंच रथ मंदिर देखेंगे। वहां से दोनों नेता डिनर के लिए जाएंगे। शनिवार सुबह प्रतिनिधि स्तर की वार्ता के बाद मोदी और जिनपिंग भोजन करेंगे। दोपहर में जिनपिंग चीन लौट जाएंगे।

चीन से 2000 साल पुराने हैं महाबलीपुरम के संबंध

बता दे, कभी महाबलीपुरम के शासकों ने चीन के साथ तिब्बत की सीमा की सुरक्षा के लिए समझौता किया था। समुद्र किनारे बसे इस शहर को पल्लव वंश के राजा नरसिंह देव बर्मन ने बसाया था। इस शहर से कभी चीनी सिक्के मिले थे, जिससे ये बात सामने आई थी कि यहां और चीन के बीच व्यापारिक संबंध थे, जो बंदरगाह के जरिए होते थे। यही कारण रहा है कि चीन और पल्लव वंश लगातार करीब आते चले गए, इसी के बाद सातवीं सदी में चीन ने महाबलीपुरम के राजाओं से समझौता किया। नरसिंह ने मामल्ल की उपाधि धारण की थी, इसलिए इसे मामल्लपुरम के नाम से भी जाना जाता है।

दोनों के बीच हुआ ये समझौता सुरक्षा को लेकर था, जो कि तिब्बत सीमा के लिए हुआ था। चीन ने ये समझौता पल्लव वंश के तीसरे राजकुमार बोधिधर्म के साथ किया था, जिन्होंने बाद में बौद्ध धर्म अपनाया और बौद्ध भिक्षु बन गए थे। यही समझौता और चीन को की गई मदद एक कारण भी बनी कि चीन में बोधिधर्म को सम्मानित दर्जा प्राप्त है।

प्राचीन बंदरगाह वाले महाबलीपुरम का करीब 2000 साल पहले चीन के साथ खास संबंध था। पुरातत्वविद राजावेलू बताते हैं कि कि यहां बरामद हुए पहली और दूसरी सदी के मिट्टी के बर्तन हमें चीन के समुद्री व्यापार की जानकारी देते हैं। पल्लव शासन के दौरान चीनी यात्री ह्वेनसांग कांचीपुरम आए थे। पल्लव शासकों ने चीन में अपने दूत भेजे थे।