2 अक्टूबर विशेष : गांधी जयंती पर एक कविता जो देती है स्वच्छ भारत का सन्देश

आज पूरे भारत में गांधी जयंती को उत्सव के रूप में मनाया जा रहा हैं। क्योंकि गांधीजी ने देश को आजादी दिलाने के लिए अपने जीवन में कई बलिदान दिए, जेल गए, आन्दोलनों की शुरुआत की और अपनी सोच और विचारों से लोगों को आजादी के लिए प्रेरित किया। लेकिन गांधी जयंती पर सिर्फ उनको याद कर लेना ही काफी नहीं है बल्कि उनके विचारों को आत्मसात करना भी जरूरी होता हैं। गांधीजी भारत को स्वच्छ रखने में विश्वास रखते थे। इसलिए आज हम आपके लिए गांधी जयंती पर एक कविता लेकर आए हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

मैं गाँधी हूँ लेकिन सत्ता का भूखा नहीं, देश का वफादार हूँ परतंत्रता मुझे मंजूर नहीं।
चाहो जो कहना हैं कह दो, मैंने कहकर नहीं, करके दिखलाया हैं।
आज जो स्वतंत्र भूमि मिली हैं तुम्हे, कईयों ने उसे जान देकर छुड़ाया हैं।
आसान हैं गलती निकालना, तकलीफों के लिए दोष दे जाना।
मैंने अंग्रेजो को बाहर फैका था, तुम कूड़ा तो फेंक कर दिखलाओं।
हमने अंग्रजों को बाहर फेंका था, तुम खुद के लिए तो करके दिखलाओं।
हमने तुम्हे स्वतंत्र भारत दिया था, तुम स्वच्छ भारत तो बनाओ।
भले मत कहो इसे गाँधी जयंती, इसे स्वच्छ भारत का आवरण तो चढ़ाओ।