इस शख्स ने 'कैफे कॉफी डे' के मालिक वीजी सिद्धार्थ को पुल से कूदते हुए देखा, सुनाई पूरी कहानी

करीब 36 घंटे से लापता कैफे कॉफी डे (CCD) के मालिक वीजी सिद्धार्थ का शव मैंगलुरु के नेत्रावती नदी से बरामद हुआ है। सिद्धार्थ सोमवार शाम से लापता थे। करीब दो सौ लोगों का दल मेंगलुरु के पास नेत्रावती नदी में उनकी तलाश कर रहा था। अब सिद्धार्थ का मैंगलुरु के अस्पताल में पोस्टमार्टम होगा। उसके बाद उनका शव परिवार को सौंपा जाएगा। जानकारी के मुताबिक, सिद्धार्थ का शव मंगलूरू के हौजी बाजार के पास नेत्रावती नदी के किनारे से बरामद हुआ। जहां से शव मिला है, वहीं के एक मछुआरे ने अब दावा किया है कि उसने एक शख्स को पुल से कूदते हुए देखा था।

कोडनदरम के एसीपी ने बताया, 'हमने मछुआरे सिमोन डिसौजा का बयान रिकॉर्ड कर लिया है। उसने कहा है कि जब वह मछली पकड़ रहा था तभी उसने कुछ दूरी पर एक व्यक्ति को पुल से नदी में कूदते हुए देखा था।'

मछुआरे सिमोन डिसौजा ने बताया, 'जब मैंने नदी में कुछ गिरने की तेज आवाज सुनी तो मैं पीछे मुड़ा और एक आदमी को नदी में देखा।। जो तैरने की कोशिश कर रहा था लेकिन जब तक मैं वहां पहुंचा तब तक वो डूब चुका था। मैं उसे ढूंढ नहीं पाया क्योंकि नदी का पानी उफान पर था।'

पुलिस ने कहा कि डिसौजा ने ब्रिज पिलर नंबर आठ से शख्स को कूदते हुए देखा था और जो व्यक्ति कूदा वह सिद्धार्थ ही हो सकते हैं। उनके ड्राइवर के बयान के अनुसार उसी समय उसी जगह से वो लापता हुए थे, जहां मछुआरे ने किसी को कूदते हुए देखा था।

बता दे, सिद्धार्थ सोमवार को अपनी इनोवा कार से बिजनेस ट्रिप पर चिक्कमगलुरु गए थे। वहां से उन्हें केरल जाना था, लेकिन उन्होंने ड्राइवर से मंगलुरु के पास जेपीना मोगारू में नेशनल हाईवे पर अपनी कार रोकने के लिए कहा और नीचे उतर गए। ड्राइवर ने बताया कि जिस वक्त सिद्धार्थ कार से उतरे उस वक्त वह फोन पर किसी से बात कर रहे थे। इसके बाद ड्राइवर ने सिद्धार्थ का इंतजार किया, लेकिन जब वह आधे घंटे बाद भी नहीं लौटे। जब सिद्धार्थ आधे घंटे बाद भी वापस नहीं आए तो ड्राइवर ने उनको फोन किया, लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ हो गया। ड्राइवर ने सिद्धार्थ के परिवार को तुरंत इस घटना की जानकारी दी। बता दे, सिद्धार्थ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और यूपीए-2 सरकार में विदेश मंत्री (2009-2012) रह चुके एस. एम. कृष्णा के सबसे बड़े दामाद थे। कृष्णा 1999 से 2004 के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।